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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा मो.नं.8982805777

created Oct 21st 2021, 07:01 by neetu bhannare


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स्‍वामी विवेकानंद धर्म प्रचार करते हुए एक रियासत में पहुंचे। उस रियासत का जागीरदार धर्म के नियमों को धता बताकर लोगों का उत्‍पीड़न करता था। प्रवचन समाप्‍त होने के बाद अपना यही दुःख कहने कुछ व्‍यक्ति स्‍वामीजी के पास पहुंचे। उन्‍होंने स्‍वामीजी से कहा, हम धर्म के अनुसार सादा जीवन जीने का प्रयास करते हैं, लेकिन जागीरदार के लठैत हमें चैन से भगवान की भक्ति और परिवार का पालन नहीं करने देते। हमें क्‍या करना चाहिए? स्‍वामीजी ने पूछा, क्‍या जागीरदार पड़ोस के शासक से भी झगड़ा करता है? उन्‍हें बताया गया कि पड़ोस का जागीरदार उससे ज्‍यादा शक्तिशाली है। वह उससे डरता है। स्‍वामीजी ने कहा, यही तो प्रकृति का नियम है। शिकारी हिरन और अन्‍य कमजोर प्राणियों का ही शिकार करता है। मछुआरा निरीह मछली को ही जाल में फांसता है। कुछ अंधविश्‍वासी देवता के सामने निरीह बकरे की ही बलि देते हैं। क्‍या कभी किसी को शेर की बलि देते देखा है, कुछ क्षण रुककर स्‍वामीजी ने कहा, आप सब भगवान की भक्ति के साथ-साथ संगठित होकर शक्ति का संचय करें।

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