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सॉंई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने देश में 100 नए सैनिक स्‍कूल खोलने को मंजूरी दे दी। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत इन स्‍कूलों का विस्‍तार होगा। सरकारी और निजी क्षेत्र के स्‍कूलों को भी सैनिक स्‍कूल के साथ संबद्ध कर नए स्‍कूल के तौर पर मंजूरी दी जा सकेगी। नए सत्र से शुरू होने वाले इन सैनिक स्‍कूलों में पांच हजार नए छात्रों को प्रवेश की मंजूरी मिलेगी। अभी देश में 33 सैनिक स्‍कूल हैं, जिनमें करीब 3300 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। सैनिक स्‍कूल से निकले छात्र सेना में बड़े पदों तक पहुंचने में सफलता हासिल कर चुके हैं। इसलिए नए स्‍कूलों की मंजूरी का स्‍वागत किया जाना चाहिए।  
सैनिक स्‍कूल की पहचान देश के लिए बेहतर नागरिक तैयार करने के तौर पर मानी जाती है, लेकिन इससे ज्‍यादा बड़ी पहचान सेना के लिए बेहतर अफसर तैयार करने के तौर पर भी है। यहां से निकलने वाले ज्‍यादातर छात्र सेना को अपने करियर के तौर पर प्राथमिकता देते हैं। सैनिक स्‍कूल को सेना का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यही वजह है कि सेना में जाने की दिलचस्‍पी रखने वाले बच्‍चों की पहली पसंद सैनिक स्‍कूल होते हैं। समाज के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के बच्‍चों को सेना में एक अधिकारी के रूप में करियर बनाने में सैनिक स्‍कूल मददगार साबित हुए हैं। इस वर्ष पेश किए गए बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने बजट भाषण में घोषणा की थी कि देश में 100 से ज्‍यादा नए सैनिक स्‍कूल खोले जाएंगे। अब केंद्रीय कैबिनेट के निर्णय से इन स्‍कूलों के अगले सत्र से खुलने का रास्‍ता साफ हो गया है। हालांकि इसके साथ ही सरकार को इसके कई पहलुओं को भी करीब से देखना होगा। अभी सैनिक स्‍कूलोंं का संचालन पूरी तरह सैनिक स्‍कूल सोसाइटी के पास है, लेकिन निजी क्षेत्र के स्‍कूलों के साथ आने के बाद इनकी गुणवत्ता को बरकरार रखना भी चुनौती हाेगी। इसके साथ ही फीस और दूसरे व्‍यावहारिक पक्षों को लेकर सरकार को गंभीरता से सोचने की जरूरत है। यदि फीस ज्‍यादा हुई, तो इन स्‍कूलों का मकसद पीछे छूट जाएगा।  
आज हमारी सेना में बेहतरीन अफसरों की कमी है। ऐसे में सैनिक स्‍कूलों की संख्‍या बढ़ने से यह कमी पूरी करने में मदद मिल सकती है। यह तभी संभव है जब इन स्‍कूलों का स्‍तर बना रहे। ज्‍यादा संख्‍या में स्‍कूल खोलने से गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका भी है। इन आशंकाओं को खत्‍म करने के लिए आवश्‍यक उपाय करना जरूरी है। देखना यही है कि सरकार इन स्‍कूलों को किस तरह से व्‍यवस्थित रख पाती है।       

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