eng
competition

Text Practice Mode

HIGH COURT HINDI TYPING PRACTICE [SHUBHAM BAXER] (7987415987) //CHHINDWARA M.P.//

created Oct 14th 2021, 02:16 by shubham baxer


2


Rating

414 words
28 completed
00:00
उपाध्‍यक्ष महोदय, वित्त मंत्री को देश की आर्थिक स्थिति और निर्धनता के संबंध में जितनी जानकारी प्राप्‍त होती है उतनी किसी अन्‍य मंत्री को संभव नहीं होती। जिस समय उन्‍होंने बजट प्रस्‍तुत किया उस समय देश को और विशेष रूप से गरीबों को उन से बहुत-सी आशाएँ थीं। देश में लगभग 6 लाख गाँव हैं, उनमें जो बेरोजगारी है, गरीबी है, उसके संबंध में देश की जनता कों उनसे बड़ी आशाएँ थीं और जनता देखना चाहती थी कि इस अवसर पर सरकारी नीतियों के द्वारा देश को वे क्‍या मार्गदर्शन देना चाहती हैं।  
इस दृष्टि से तीन महत्‍वपूर्ण बातें इस समय देश मे सामने थी- देश का आर्थिक विकास तेजी से हो, अधिक लोगों को काम मिल सके और मूल्‍यों में स्थिरता आए। जहाँ तक इन तीन उद्देश्यों  का संबंध है हमने देखा कि उस ओर कुछ प्रयत्‍न हुए हैं। विशेष रूप से गरीबी हटाओ के संबंध में इस देश में जो चर्चा चल रही है इस बजट में कुछ सीमा तक उसका उल्‍लेख मिलता है इस तरह से जो एक प्रकार की आर्थिक असमानता हमारे देश में चल रही है, उसको दूर करने का प्रयत्‍न अवश्‍य किया गया है।  
आलोचना: - वर्तमान परिदृश्य‍ में मंहगाई अपने चरम स्‍तर पर पहुंचे का प्रयास कर रही है मानों मंहगाई को किसी ने कहा हो अच्छे  दिन आने वाले है, मंहगाई को मिल गया है कोरोना का बहाना और आम आदमी का है कोई ठिकाना। सरकार गरीबी हटाने से ज्‍यादा मंहगाई बढ़ाने का प्रयास कर रही है। वर्तमान समय में जितनी भी जरूरी उपभोग की वस्‍तुए है उनके दामों में वृद्धि हुई है, जिस प्रकार से खाद्य तेलो से लेकर ईधन तेलो मे वृद्धि हुई है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि मंहगाई के ओर भी अच्‍छे दिन आना शेष है। सरकार का केसलेस इंडिया का सपना सकार होते दिख रहा है। गरीबों का सारा केस अब लेस होने लगा है। और बेरोजगारी क्या ही बात करे। सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले छात्र निराश, हताश, उदास है हर साल इक्‍जाम कलैंडर तो आते है और छात्र फॉर्म भी भरते है किन्‍तु सरकार अपने राजकोष में बढोत्तोरी करके सब भूल जाती है और परीक्षाएं सम्‍पन्‍न नही हो पाती, परीक्षा हो भी जाऐ तो कुछ कारण बताकर उन्‍हें रद्द कर दिया जाता है। ऐसी सरकारी अव्‍यवस्‍था के चलते कुछ छात्र आत्‍महत्‍या तक कर लेते है। वर्तमान समय मे हर वर्ग आयु का आदमी मानसिक दबाव मे है फिर भी कुछ मिडिया चैनलो में कुछ विशेष लोग अच्छे दिन आने का आत्‍मविश्‍वास देने का प्रयास करते है?

saving score / loading statistics ...