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गोलमेज सम्‍मेलन

created Sep 24th 2021, 04:04 by Mohit Chouhadiya


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गोलमेज सम्‍मेलन लंदन में इस उद्देश्‍य से आयोजित किया गया था कि भारतीय नेता भारत के भावी संविधान के निर्माण के लिए एक समझौते पर पहुँच सकें। इस सम्‍मेलन के कुल 89 सदस्‍य थे। इनमें से 16 ब्रिटिश पार्टी के प्रतिनिधि थे, 20 भारत के शाही और नवाबी राज्‍यों के प्रतिनिधि तथा अंग्रेजी अधीन भारत के 53 प्रतिनिधि थे। आरंभ में कांग्रेस पार्टी ने इस सम्‍मेलन में भाग नहीं लिया, किन्‍तु बाद में एम.के.गांधी. (सर्वसाधारण में महात्‍मा गांधी के नाम से ज्ञात) ने सम्‍मेलन में भाग लिया। भारत के अछूत वर्गों का प्रतिनिधित्‍व डा.बी.आर. आंबेडकर और रायबहादुर श्रीनिवासन कर रहे थे।
भारत के इतिहास में प्रथम बार अछूत वर्गों का अलग अस्तित्‍व माना गया। विश्‍व के इतिहास में प्रथम बार एक ''अछूत'' अपने वर्ग का प्रतिनिधित्‍व करने के लिए खड़ा हुआ, वह वर्ग जो निम्‍न था, पिछड़ा हुआ मंदबुद्धि, अकुशल, भिन्‍न-भिन्‍न मात्राओं में ''अस्‍पृश्‍य तथा तिरस्‍कृत'' था। केवल इतना ही नहीं वह ''अछूत'' सर्वोच्‍च शैक्षणिक योग्‍यता से युक्‍त, बुद्धिमान और चरित्रवान था।  
गांधी जी ने मुसलमान, सिक्‍ख, ईसाई और अछूत वर्गों को उनके अपने समुदायों के प्रतिनिधित्‍व करने के अधिकार पर प्रश्‍न उठाकर सबको विमुख कर दिया। उन्‍होंने दावा किया कि वे सबकी ओर से बोल रहे हैं, सबका प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं, परन्‍तु यह किसी भी समुदाय को मान्‍य नहीं था। गांधी जी ने सम्‍मेलन की कार्यवाही को भी गंभीरतापूर्वक नहीं लिया। उन्‍होंने सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए कोई तैयारी नहीं की थी। सम्‍मेलन के लिए समय निकालने के बजाए वह व्‍यक्तिगत मीटिंगों और गरीबों की बस्‍ती में भ्रमण करते रहे। वे सम्‍मेलन में काफी थके हुए आये। वे कोई स्‍पष्‍ट दृष्टिकोण सामने नहीं रख पाए जो और सदस्‍यों को मान्‍य होता। भारतीय नेताओं और सम्‍मेलन के अन्‍य सदस्‍यों के मध्‍य कोई समझौता नहीं हो सका। उन्‍होंने अछूत वर्गों का बहुत विरोध किया। मुसलमानों को शांत करने एवं उनका समर्थन प्राप्‍त करने के लिए अछूतों का विरोध करके उनको संतुष्‍ट किया। गोलमेज सम्‍मेलन में गांधी जी का व्‍यवहार देखकर अन्‍य सदस्‍यों के समान आंबेडकर ने भी उनके विषय में बड़ा हीन विचार कायम किया। उन्‍होंने संघ शासन संबंधी पुस्‍तक में कहा है ''गांधी जी वहां ऐसे गए जैसे किसी वैष्‍णव मंदिर में नरसी मेहता का भजन गाने गये हों।''  

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