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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Jul 15th 2021, 07:32 by Jyotishrivatri


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एक बाघ बूढ़ा होने के कारण काफी कमजोर हो गया था उसमें इतनी शक्ति भी नहीं बची थी कि वह अपने लिए कोई शिकार कर सके। उसे एक सोने का कंगन मिला। कंगन लेकर वह कीचड़ में खड़ा हो गया और चिल्‍लाने लगा, देखो, देखो मेरे पास आओ और सोने का यह सुंदर कंगन ले लो। एक राहगीर वहां से गुजरा तो लालच में आकर रूक गया। उसे बाघ के पास जाने में डर भी लग रहा था। मैं तुम्‍हारा विश्‍वास कैसे करूं? उसने दूर से ही बाघ से पूछा। अगर मैं कंगन लेने तुम्‍हारे पास आया तो तुम मुझे खा जाओगे।  
बाघ ने जवाब दिया, मैं हमशा लोगों को मारता रहा, लेकिन अब में सुधर गया हूं। और भलाई का जीवन बिता रहा हूं। लोगों को दान करने में मुझे सुख मिलता है। राहगीर उसकी बातों में गया लेकिन बाघ के पास आकर वह कीचड़ में फंस गया। बूढ़े बाघ को इसी का इंतजार था। वह उस पर झपट पड़ा और कीचड़ में खींच ले गया। वह राहगीर पछताते हुए रोने-चिल्‍लाने लगा, हाय मेरी किस्‍मत। लालच में आकर मैं यही भूल गया कि हत्‍यारा हमेशा हत्‍यारा ही रहता है।  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
  

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