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created Jul 15th 2021, 02:21 by Ashu Soni


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कोरोना टीकाकरण को लेकर तरह-तरह की भ्रातियां हैं लेकिन इनकी वजह से लोगों को कितना नुकसान हो सकता है इसका खुलासा कैंसर मरीज और टीकाकरण पर हुए अध्‍ययन में पता चला है। इस अध्‍ययन के अनुसार टीकाकरण से संबंधित जागरूकता या भय की कमी है जिसकी वजह से वैक्‍सीन लेने वाले कैंसर मरीज अधिक संख्‍या में कोरोना की चपेट में आए हैं। साथ ही इन मरीजों में कोविड-19 की वजह से मृत्‍यु दर भी काफी देखने को मिली है। कैंसर रिसर्च एंड स्‍टैटिक्‍स मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस अध्‍ययन के अनुसार डॉक्‍टरों ने वैक्‍सीन लेने वाले और एक भी खुराक लेने वाले कैंसर मरीजों को अलग-अलग समूह में लेकर परीक्षण किया। नई दिल्‍ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्‍टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के दो विभागों ने मिलकर 752 मरीजों को अध्‍ययन में शामिल किया था। इनमें से 219 यानी 29.1 फीसदी मरीजों ने कम से कम वैक्‍सीन की एक खुराक ली थी। वैक्‍सीन की कम से कम एक खुराक ले चुके लोगों में से 34 यानी 15.5 फीसदी मरीजों में कोरोना का संक्रमण मिला, लेकिन इन मरीजों को चिकित्‍सकीय निगरानी मिलने की वजह से इन्‍हें अस्‍पतालों में भर्ती करने की आवश्‍यकता नहीं पड़ी। वहीं दूसरे समूह में 533 यानी 70.9 फीसदी मरीजों ने वैक्‍सीन की एक भी खुराक नहीं ली थी। इनमें से 117 यानी 21.9 फीसदी मरीज कोरोना की चपेट में आए और उनमें से 14 यानी 11.9 फीसदी मरीजों की हालत गंभीर देखने को मिली। कैंसर मरीजों से बातचीत और चिकित्‍सीय निगरानी के बाद डॉक्‍टरों ने निष्‍कर्ष निकाला है कि इन मरीजों में टीकाकरण को लेकर भ्रांतियां दूर करना बेहद जरूरी है क्‍योंकि पिछले वर्ष इसी चिकित्‍सीय संस्‍थान के अध्‍ययन में यह पता चला था कि सामान्‍य कोरोना मरीजों की तुलना में कैंसर रोगियों में कोरोना का खतरा सात से आठ गुना अधिक है। कैंसर मरीजों में कोरोना वायरस की वजह से मृत्‍युदर की आशंका भी काफी बढ़ जाती है। अस्‍पताल के वरिष्‍ठ डॉ. उल्‍लास बत्रा की निगरानी में हुए इस चिकित्‍सीय अध्‍ययन में इस साल मार्च से जून के बीच मरीजों का चयन करते हुए परीक्षण किया गया था। गौर करने वाली बात है कि अध्ययन के दौरान 18 से 44 वर्ष की आयु वाले कैंसर रोगी कम टीकाकरण वाले मिले थे। जबकि 45 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले कैंसर मरीजों ने एक या दो खुराक ले चुके थे।

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