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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Jul 14th 2021, 06:23 by lucky shrivatri
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बच्चों में संस्कारों का विकास हमेशा अपने से बड़ों को देखकर ही होता है। इसलिए अपने आचारण को सही रखना भी उतना ही आवश्यक है, जितना बच्चों पर ध्यान देना। बच्चों का मन वह कोरी स्लेट होता है, जिस पर हम जो चाहें लिख सकते है। यह प्रक्रिया जन्म से लेकर चार-छह वर्ष तक चलती रहती है। इस उम्र में माता-पिता को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। अगर आपको उन्हें संस्कारी बनाना है, तो आपको अपने कर्तव्य से नहीं चूकना चाहिए। संस्कार उपदेश देकर नहीं सिखाए जा सकते। बच्चे वही सीखते हैं, जो माता-पिता को करते देखते है। उन्हें स्वयं के व्यवहार में वे बातें अपनानी होंगी, जो बच्चों के हित में हो। जैसे आपके गुण होंगे, बच्चे वैसा ही सीखेंगे। जो आप करते होंगे, वैसा ही वे करेंगे। वे सोचेंगे कि हम अपने माता-पिता से भी बढ़ कर करें। बच्चों को संस्कारित करना शिक्षकों के साथ माता-पिता का भी पावन कर्त्तव्य है, क्योंकि अच्छे संस्कारों से ही व्यक्तित्व का विकास होता है। अपने जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सदैव सकारात्मक सोच रखने की आवश्यकता है। अच्छे संस्कारी समाज से ही राष्ट्र की उन्नति की दिशा तय होती है।
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