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सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Jun 15th 2021, 15:13 by sandhya shrivatri


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बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में 6 अंधे आदमी रहते थे एक दिन गांव वालों ने उन्‍हें बताया अरे आज गांव में हाथी आया है उन्‍होंने आज तक बस हाथियों के बारे में सुना था पर कभी छू कर महसूस नहीं किया था, उन्‍होंने निश्‍चय किया भले ही हम हाथियों को देख नहीं सकते पर आज हम सब चलकर उन्‍हें महसूस तो कर सकते हैं ना और फिर वो सब उस जगह की तरफ बढ़ चले जहां हाथी आया हुआ था।
सभी ने हाथी को छूना शुरू किया।  
मैं समझ गया हाथी एक खम्‍भे की तरह होता है पहले व्‍यक्ति ने हाथी के पैर छूते हुए कहा।
अरे नहीं हाथी तो र‍स्‍सी की तरह होता दूसरे ने पूंछ पकड़ते हुए कहा।  
मैं बताता हूं ये तो पेड़ के तने की तरह है तीसरे व्‍यक्ति ने सू़ढ पकड़ते हुए कहा।  
तुम लोग क्‍या बात कर रहे हो, हाथी एक बड़े हाथ के पंखे की तरह होता है चौथे व्‍यक्ति ने कान छूते हुए सभी को समझाया।
नहीं नहीं ये तो एक दीवार की तरह है पांचवे व्‍यक्ति ने पेट पर हाथ रखते हुए कहा।  
ऐसा नहीं है हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है छठे व्‍यक्ति ने अपनी बात रखी।
और फिर सभी आपस में बहस करने लगे और खुद को सही साबित करने में लग गए उनकी बहस तेज हो गयी और  ऐसा लगने लगा मानो वो आपस में लड़ ही पड़ेंगे तभी वहां से एक बुद्धिमान व्‍यक्ति गुजर रहा था वह रूका और उनसे पूछा क्‍या बात है तुम सब आपस में झगढ़ क्‍यों रहे हो
हम यह तय नहीं कर पा रहे है कि आखीर हाथी दिखता कैसा उन्‍होंने उत्‍तर दिया।  
और फिर बारी बारी से उन्‍होंने अपनी बात उस व्‍यक्ति को समझाई। बुद्धिमान व्‍यक्ति ने सभी की बात शांति से सुनी और बोला तुम सब अपनी अपनी जगह सही हो तुम्‍हारे वर्णन में अंतर इसलिए है क्‍योंकि तुम सबने हाथी के अलग अलग भाग छुए हैं। पर देखा जाए तो तुम लोगों ने जो कुछ भी बताया वो सभी बाते हाथी के वर्णन के लिए सही बैठती है।  
अच्‍छा ऐसा है सभी ने एक साथ उत्‍तर दिया उसके बाद कोई विवाद नहीं हुआ और सभी खुश हो गए कि वो सभी सच कह रहे थे।
 
हमें इससे यह शिक्षा मिलती है कि कई बार ऐसा होता है हम अपनी बात को लेकर अड़ जाते है कि हम ही सही है और बाकी सब गलत है लेकिन यह संभव है कि हमें सिक्‍के का एक ही पहलु दिख रहा हो और उसके अलावा भी कुछ ऐसे तथ्‍य हों जो सही हो इसलिए हमें अपनी बात तो रखनी चाहिए पर दूसरों की बात भी सब्र से सुननी चाहिए और कभी भी बैकार की बहस में नही पड़ना चाहिए वेदों में भी कहा गया है कि सत्‍य को कई तरीके से बताया जा सकता हैं तो आप अगली बार आप ऐसी किसी बहस में पड़े तो याद कर लीजिएगा कि कहीं ऐसा तो नहीं की आपके हाथ में सिर्फ पूछ है और बाकी हिस्‍से किसी और के पास हैं।

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