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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Apr 7th 2021, 10:44 by GuruKhare
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परंपरागत तौर पर आम बजट के एक दिन पहले पेश की जाने वाली आर्थिक समीक्षा में कुछ नवीन विचार एवं सुझाव समाहित होते हैं। हालांकि बजट घोषणाओं की अपेक्षा और फिर उनके विश्लेषण की आड़ में आर्थिक समीक्षा में पेश विचारों एवं सुझावों को उतनी तवज्जों नहीं मिल पाती है। आर्थिक समीक्षा को बजट के पूरे एक महीने पहले पेश करना अच्छा विचार हो सकता है ताकि नीति-निर्माताओं और समझदार जनता को उसमें उठाए गए बिंदुओं पर सोच-विचार का पर्याप्त समय मिल सके। हाल के समय में आई आर्थिक समीक्षाओं ने कुछ नई अंतर्दृष्टि देने का काम किया है। सार्वभौम बुनियादी आय और बैड बैंक के विचार तो यादगार हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन के मार्गदर्शन में तैयार हालिया आर्थिक समीक्षा में न्यूनतम जरूरत सूचकांक के रूप में एक नया सूचकांक शुरू करने की दिलचस्प संकल्पना पेश की गई है।
भारत में संपत्ति बनाने को लेकर ऐतिहासिक तौर पर गजब की ललक देखी जाती रही है। लेकिन इन परिसंपत्तियों से वांछित सेवा लेने पर सापेक्षित रूप से कम ध्यान दिया जाता है। बात चाहे बड़े बिजली उत्पादन संयंत्र की हो या बड़े बांध एवं राजमार्ग की हो आम आदमी को इन बड़ी परिसंपत्तियों से होने वाले लाभ संदिग्ध तौर पर दशकों तक नदारद रहे हैं। बीएनआई सूचकांक पिरामिड के निचले सिरे पर मौजूद एक आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालने वाले पांच क्षेत्रों का जिक्र करता है। आर्थिक समीक्षा में नागरिकों को न्यूनतम जरूरतें मुहैया कराने पर ध्यान देने के लिए सरकारों की लगातार तारीफ की जाती है, इसकी मात्रा कम-ज्यादा हो सकती है। मौजूदा पहल के संदर्भ में इन योजनाओं का उल्लेख किया गया है।
भारत में संपत्ति बनाने को लेकर ऐतिहासिक तौर पर गजब की ललक देखी जाती रही है। लेकिन इन परिसंपत्तियों से वांछित सेवा लेने पर सापेक्षित रूप से कम ध्यान दिया जाता है। बात चाहे बड़े बिजली उत्पादन संयंत्र की हो या बड़े बांध एवं राजमार्ग की हो आम आदमी को इन बड़ी परिसंपत्तियों से होने वाले लाभ संदिग्ध तौर पर दशकों तक नदारद रहे हैं। बीएनआई सूचकांक पिरामिड के निचले सिरे पर मौजूद एक आम आदमी की रोजमर्रा की जिंदगी पर असर डालने वाले पांच क्षेत्रों का जिक्र करता है। आर्थिक समीक्षा में नागरिकों को न्यूनतम जरूरतें मुहैया कराने पर ध्यान देने के लिए सरकारों की लगातार तारीफ की जाती है, इसकी मात्रा कम-ज्यादा हो सकती है। मौजूदा पहल के संदर्भ में इन योजनाओं का उल्लेख किया गया है।
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