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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 मो.नं.8982805777

created Mar 3rd 2021, 13:12 by sachin bansod


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एक गांव में नदी के किनारे कुछ बच्‍चे खेलते हुए रेत के घर बना रहे थे। किसी का पैर किसी के घर को लग जाता और वो बिखर जाता और इस बात पर झगड़ा हो जाता। थोड़ी बहुत बचकानी उम्र वाली मारपीट भी हो जाती। फिर वह बदले की भावना से सामने वाले के घर के ऊपर बैठ जाता और उसे मिटा देता। और फिर से अपना घर बनाने में तल्‍लीन हो जाया करना ही बच्चो का काम था। महात्‍मा बुद्ध चुपचाप एक और खड़े ये सारा तमाशा अपने शिष्‍यों के साथ देख रहे थे। बच्‍चे अपने आप में ही मशगूल थे। इतने में एक स्‍त्री आकर बच्‍चों को कहती है साँझ हो गई है तुम सब की माये तुम्‍हारा रास्‍ता देख रही है। बच्‍चों ने चौंकते हुए देखा दिन बीत गया है, सांझ हो गई है और अंधेरा होने को है। इसके बाद वो अपने ही बनाये घरो पर उछले कूदे। सब मटियामेट कर दिया। और किसी ने नहीं देखा कौन  किसका घर तोड़ रहा है।  सब बच्‍चे  भागते हुए अपने घरो की और चल दिए। महात्‍मा बुद्ध ने अपने शिष्‍यों से कहा तुम मानव जीवन की कल्‍पना इन बच्‍चो की इस क्रीड़ा से कर सकते हो। क्‍योंकि की तुम्‍हारे बनाये शहर, राजधानियां सब ऐसे ही  रह जाती है। और तुम्‍हें ये सब छोड़ कर जाना ही होता है। तुम यहां जिंदगी की  भागदौड़ में सब भूल जाते हो और खुद से कभी मिल ही नहीं पाते जबकि जाना तो सबका तय है। इसलिए कभी भी  अधिक लम्‍बा सोचकर समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। वर्तमान में जीना चाहिए।  

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