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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Mar 3rd 2021, 03:30 by VivekSen1328209


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भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा-504 323 के अंतर्गत दण्‍डनीय अपराधों में प्रकरण के पीड़ित और अभियुक्‍त के बीच हुये समझौते तथा उसके प्रभाव से अभियुक्‍त की भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 504, 323 के अपराधों में हुयी दोषमुक्ति के पश्‍चात् प्रकरण में विचारणीय प्रश्‍न मात्र यह शेष रहा जाता है कि क्‍या अभियुक्‍त द्वारा स्‍वयं के सवर्ण वर्ग के होने और फरियादी नारायण के जाटव अनुसूचित जाति वर्ग के होने के जातिगत विभेद के अन्‍तर्गत अथवा अन्‍यथा भी दिनांक 17 जुलाई 2018 को शाम को लगभग साढ़े सात बजे मोहनगढ़ आरक्षी केन्‍द्र के अन्‍तर्गत आने वाले ग्राम भदरौनी में मंदिर के पास आम रास्‍ते पर फरियादी नारायण जाटव को लोकस्‍थान पर अथवा लोकदृश्‍य स्‍थान पर अपमानकारी और अभित्रासकारी अश्‍लील जातिसूचक अपमानकारी अपशब्‍द कहे गये थे वे उसे स्‍वेच्‍छापूर्वक साधारण उपहतियां कारित की गयी।
    फरियादी नारायण जाटव अभियोजन साक्षी 02 के रूप में परीक्षित हैं जो अभियुक्‍त को अपने ही गांव अनंतपुरा का रहने वाला होना बताते हुये धाकड़ जाति का बताता है तथा स्‍वयं को जाटव जाति का होकर अनुसूचित जाति वर्ग का होना बताता है। फरियादी नारायण जाटव अभियोजन साक्षी 02 पुलिस को अपना जाति प्रमाण पत्र प्रदर्श पी-2 सौंपना बताता है, लेकिन घटनाक्रम यह बताता है कि करीब दो साल पहले रात करीब साढ़े सात बजे वह अपने घर के समीप बने मंदिर पर दर्शन करके लौट रहा था तभी उसे रास्‍ते में आरोपी मिला और पुरानी मजदूरी के पैसों को लेकर उसका आरोपी से मुंहवाद हो गया था, मुंहवाद के दौरान मौके पर काफी लोग इकट्ठे हो गये थे, वहां भगदड़ मच गयी थी, जिसमें गिरने पड़ने में उसे पैर, हाथ सिर में चोट गयी थी। उक्‍त घटना की ही रिपोर्ट फरियादी नारायण जाटव घटना वाले दिन ही थाना मोहनगढ़ पर करना एवं पुलिस द्वारा स्‍वयं की मेडिकल जांच कराया जाना भी बताता है। शेष किसी और घटना के घटित होने और उसे लिखवाने से वह इंकार करता है।
    फरियादी प्रथम सूचना रिपोर्ट प्रदर्श पी-3 पर अपने हस्‍ताक्षर स्‍वीकार कर रहा है लेकिन उसमें उल्‍लेखित तथ्‍य अभियुक्‍त द्वारा जातिसूचक बुरी बुरी गालियां देते हुए चमड़े वाले तू कब से पुजारी हो गया अपशब्‍द कहे जाने, डंडे थप्‍पड़ों से मारपीट किये जाने से वह इंकार करता है। उक्‍त घटनाक्रम प्रदर्श पी-3 में लिखाने से भी वह इंकार करता है। कथन भी पुलिस को देना बताता है। यद्यपि नक्‍शा मौका प्रदर्श पी-4 पर वह अपने हस्‍ताक्षर स्‍वीकार करता है। नारायण जाटव ने प्रतिपरीक्षा में यह भी प्रकट करता है कि पुलिस द्वारा उसे रिपोर्ट पढ़कर नहीं सुनायी गयी थी और ही उसकी नकल दी गयी थी तथा अरोपी से उसका जो मुंहवाद हुआ था उसमें उनकी जाति भिन्‍नता वाली कोई बात नहीं थी।

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