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SAI COMPUTER TYPING INSTITUTE, GULABARA CHHINDWARA (M.P.) CPCT ADMISSION OPEN MOB. NO.9098909565 Director By Lucky Shrivatri

created Mar 2nd 2021, 14:24 by rajni shrivatri


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अक्‍सर लोग कहते है कि आपके भाग्‍य ने सब कुछ पहले से ही तय कर रखा है। पहले से कुछ भी तय नहीं है। बात बस इतनी है कि अनजाने में ही आपने खुद को कुछ खास स्थितियों में ढाल लिया है। आपके भीतर कुछ आदतें, नजरिया और प्रकृति बन जाती है, और इनके मुताबिक आपका जीवन उसी दिशा में चलने लगता है। ऐसा इसलिए नहीं है कि कोई बाहरी अज्ञान शक्ति आपको उस दिशा में धकेल रही है। जिस भाग्‍य की बात आप कर रहे है, वह अनजाने में खुद आपके द्वारा बनाई गई प्रकृति और आदतें है। वैसे इन्‍हें आप पूरे होशोहवास में भी बना सकते है। भाग्‍य अपना काम तो करता है, लेकिन उसकी अपनी सीमाएं है। भाग्‍य अंतिम नहीं है। अगर आप यह जानते है कि आप अपने भाग्‍य को अपने हाथ में ले लें। आध्‍यात्मिक की तरफ मुड़ने का मतलब है कि मैं अपने भाग्‍य को अपने हाथों में लेना चाहता हूं। इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि मेरे कर्म क्‍या कहते है। तब आप अपने भाग्‍य की रचना खुद करने लगते है। अगर आप अपना जीवन जागरूक होकर जिए, तो आप अपना भाग्‍य खुद लिख सकते है।  

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