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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Mar 1st 2021, 09:59 by ddayal2004


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प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में जल संरक्षण की महत्‍ता को जिस तरह रेखांकित किया, उस पर सभी को केवल ध्‍यान देना चाहिए बल्कि अपने-अपने स्‍तर पर इसकी चिंता भी करनी चाहिए कि पानी का बचाव और उसका सदुपयोग कैसे किया जाए। जल संरक्षण ऐसा काम नहीं जिसे सरकार के भरोसे छोड़ा जा सके। यह काम ढंग से तभी हो सकता है जब लोग भी इसमें जुटें और यह समझें कि जल संरक्षण उनका नैतिक-सामाजिक दायित्‍व है। प्राचीन काल में आम लोग ही सामुदायिक रूप से जल के परंपरागत श्रोतों की चिंता किया करते थे, लेकिन समय के साथ यह परंपरा कमजोर पड़ गई। इसका नतीजा यह हुआ कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जल के तमाम परंपरागत श्रोत उपेक्षित और नष्‍ट होते चले गए। इतना ही नहीं, इसी के साथ भूजल के अंधाधुंध दोहन का सिलसिला भी कायम हो गया। नि:संदेह हर कोई इससे अवगत है कि जल के बिना जीवन संभव नहीं, लेकिन प्रश्‍न यह है कि क्‍या हम उसे संरक्षित करने और उसका दुरुपयोग रोकने के लिए वह सब कर रहे हैं, जो आवश्‍यक ही नहीं, अनिवार्य हो चुका है। आज जब जल संकट की आहट तेज होती जा रही है और विभिन्‍न इलाकों में भूगर्भ जल के स्‍तर में कमी अथवा उसके दूषित होते जाने के तथ्‍य सामने आने लगे हैं तो हर किसी को चेत जाना चाहिए।

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