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बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट शॉप नं. 42 आनंद हॉस्टिपटल के सामने, संचालक- सचिन बंसोड मो.नं.

created Feb 27th 2021, 12:56 by SARITA WAXER


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सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि सरकार उचित काम के बदले किसी भी कर्मचारी का वेतन और पेंशन नहीं रोक सकती। वेतन और पेंशन के भुगतान में देरी पर सरकार को उचित ब्‍याज देना चाहिए। कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार को कुछ समय के लिए टाले गए वेतन और पेंशन पर छह फीसद की दर से ब्‍याज अदा करने का आदेश दिया है। हालांकि हाई कोर्ट ने इस मामले में 12 फीसद ब्‍याज की दर तय की थी। आंध्र प्रदेश सरकार ने कोरोना महामारी के कारण आए वित्‍तीय संकट को देखते हुए मार्च-अप्रैल 2020 में सरकारी कर्मचारियों का वेतन और पेंशन कुछ समय के लिए टाल दी थी। सरकार ने इस बारे में एक आदेश निकाला था। हालांकि बाद में अप्रैल में सरकार ने तीन विभागों चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य, पुलिस और सफाई कर्मचारियों का पूरा वेतन बहाल कर दिया और 26 अप्रैल को पेंशनर्स की पूरी पेंशन भी बहाल कर दी। लेकिन इस बीच एक पूर्व जिला एवं सत्र न्‍यायाधीश ने हाई कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की। इसमें उन्‍होंने कहा कि वेतन और पेंशन पाने को कर्मचारी का अधिकार बताकर रोके गए वेतन और पेंशन के भुगतान की मांग की। हाईकोर्ट ने इस जनहित याचिका पर विस्‍तृत आदेश पारित किया। हाईकोर्ट ने कहा कि आंध्र प्रदेश फाइनेंसियल कोड के अनुच्‍छेद 72 के मुताबिक सरकारी कर्मचारियों को हर महीने की अंतिम तारीख पर वेतन मिलना चाहिए। कहा पेंशन भी सिर्फ तब रोकी जा सकती है जब कर्मचारी विभागीय जांच या न्‍यायिक प्रक्रिया में गंभीर कदाचार का दोषी हो जो कि इस मामले में नहीं है।

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