eng
competition

Text Practice Mode

BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Feb 27th 2021, 11:27 by ddayal2004


0


Rating

233 words
12 completed
00:00
हाल ही में उच्‍चतम न्‍यायालय ने सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों को एक तरह से ठंडे बस्‍ते में डाल दिया है। न्‍यायालय के इस आदेश ने विधायिका और न्‍यायपालिका के बीच के विभाजन को समाप्‍त कर दिया है। न्‍यायालय का यह आदेश संसद के लिए भी आत्‍म निरीक्षण का संदेश लेकर आया है। 2019 के बाद से इसके द्वारा पारित कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती दी जा रही है। अनुच्‍छेद 370 को रद्द करने और कृषि कानूनों पर मिली इस चुनौती ने संसद को स्‍वयं से यह सवाल करने पर मजबूर कर दिया है कि वह विधेयकों की संवैधानिकता की जांच सख्‍ती से करता है या नहीं। यह जांचने के लिए संसद के पास तीन तंत्र है।
    संसद का कोई भी सदस्‍य, संसद की विधायी क्षमता के बाहर कानून बनाने की बात कहते हुए विधेयक पेश करने का विरोध कर सकता है। बहस सीमित होती है। और जिस सदन में विधेयक प्रस्‍तुत किया जाता है, वह संवैधानिक बारीकियों में नहीं उलझता। लोकसभा और राज्‍यसभा में बहस करते हुए किसी विेधेयक की संवैधानिकता पर चर्चा के लिए सांसदों को अवसर मिलता है। परंतु इन दोनों अवसरों पर तर्क से विधायी परिणाम का निर्धारण नहीं किया जाता है। संसद का निर्णय सदन के पटल पर रखे गए पक्ष और विपक्ष की संख्‍या पर निर्भर करता है। जब सरकार के पास बहुमत होता हे, तो उसे प्रस्‍तावों को पारित करने में कोई कठिनाई नहीं होती है।

saving score / loading statistics ...