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सॉंई कम्‍प्‍युटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Feb 27th 2021, 05:28 by lucky shrivatri


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चीन से लगती वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए सेनाओं की वापसी की प्रक्रिया शुरू होने के बाद अब पाकिस्‍तान से लगती नियंत्रण रेखा (एलओसी) से भी शुभ संकेत मिले हैं। दोनों देशों के डायरेक्‍टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन (डीजीएमओ) के बीच हॉटलाइन पर बातचीत के बाद एक बार फिर सीजफायर समझौता हो गया है। यह समझौता बुधवार-गुरूवार की दरम्‍यानी आधी रात से लागू भी हो गया। संयुक्‍त बयान में एलओसी पर शांति बनाए रखने की जरूरत का उल्‍लेख किया गया है। यह भी कहा गया कि यदि विवाद के नए अप्रत्‍याशित मामले सामने आते हैं, तो उनका निपटारा सैन्‍य अधिकारियों के बीच फ्लैग मीटिंग से किया जाएगा। भारत पाकिस्‍तान के बीच परंपरागत शत्रुता को देखते हुए यह कहना जल्‍दबाजी होगी कि अब संबंध सामान्‍य हो जाएंगे। इससे पहले भी 2003 में दोनों देशों के बीच सीजफायर संधि हुई थी, पर पाकिस्‍तान उस संधि का मान नहीं रख पाया। ऐसे में नई संधि कब तक चलेगी, इसे लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता। भारत के खिलाफ चलाई जाने वाली आतंकी गतिविधियों में पाकिस्‍तानी सेना और आइएसआइ की भागीदारी के कारण भी ऐसी उम्‍मीद बेमानी होगी कि अब पाकिस्‍तान रास्‍ते पर रहा है। बहरहाल, इतना तो तय है कि दोनों देशों के बीच लंबे तनावपूर्ण रिश्‍तों से किसी का कोई भला नहीं होने वाला है। ऐसे समय मे जब कोविड-19 महामारी के कारण दुनिया अपनी बदहाल आर्थिक हालत ठीक करने की जद्दोजहद में जुटी है, सीमा विवाद जैसे मुद्दों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। पाकिस्‍तान भी वित्तीय मोर्चे पर पूरी बदहाल हो चुका है। यदि बुनियादी सुधारों और जरूरतों की तरफ उसने ध्‍यान नहीं दिया, तो आने वाले दिनों में इमरान सरकार की मुसीबतें बढ़ने वाली हें। अपने घरेलू ओर अंतरराष्‍ट्रीय मोर्चे पर पाकिस्‍तान सरकार बुरी तरह घिर चुकी है। इसलिए हो सकता है कि कुछ समय के लिए ही सही, उसने अपनी प्राथमिकताएं बदलने का मन बना लिया हो। चीन के साथ भारत के टकराव का नतीजा भी उसने देख लिया है, जिसका साफ संकेत है कि भारत अपने ऊपर हर हमले का आक्रामक जवाब देने के लिए तैयार है। इसलिए यही कहना ज्‍यादा उचित होगा कि देर से ही सही पर सीजफायर समझौता करके पाकिस्‍तान ने उचित कदम उठाया है। भारत तो पहले से ही शांति का पक्षधर रहा है। यदि उकसाने वाली कार्रवाई बंद हो गई, तो चाहे एलएसी हो या एलओसी, दोनों मोर्चो पर शांति बनाए रखने में कोई समस्‍या नहीं आएगी। समय की पुकार यही है कि दुनिया के सभी देश विवाद के संकीर्ण मुद्दों को भुलाकर आगे बढ़ें।  

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