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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565
created Feb 27th 2021, 04:11 by rajni shrivatri
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नदियां और समुद्र काफी प्राचीन समय से आपस में मिलकर रहते आ रहे थे। नदियां अपना पानी समुद्र में डालती थीं और समुद्र उस पानी को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करता था ताकि नदियां साफ सुरक्षित बनी रहें। हालांकि नदियों को यह बात अच्छी नहीं लगती थी कि समुद्र सारे पानी को खारा कर देता है। एक दिन उन्होंने समुद्र से इस बात को लेकर शिकायत करने का निश्चय किया। वे सारी एकजुट समुद्र के पास गई। सारी नदियां विशाल नीले समुद्र के पास जाकर एक स्वर में बोली, अरे समुद्र, हम लोग तुम्हारे पास इतनी मीठा पानी लाते है, लेकिन तुम उसे खारा क्यों कर देते हो?
समुद्र कुछ देर शांत रहा और नदियों की नाराजगी भरी बातें सुनता रहा। फिर वह बोला, अगर तुम नहीं चाहती कि यह पानी खारा हो तो तुम लोग मुझसे दुर रहने लगो। नदियां चुपचाप मुंह लटकाए लौट पड़ीं क्योंकि वे जानती थीं कि वे समुद्र के बिना नहीं रह सकती है।
समुद्र कुछ देर शांत रहा और नदियों की नाराजगी भरी बातें सुनता रहा। फिर वह बोला, अगर तुम नहीं चाहती कि यह पानी खारा हो तो तुम लोग मुझसे दुर रहने लगो। नदियां चुपचाप मुंह लटकाए लौट पड़ीं क्योंकि वे जानती थीं कि वे समुद्र के बिना नहीं रह सकती है।
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