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सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Jan 12th 2021, 11:02 by renukamasram


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मनुष्‍य के जीवन में दैहिक चिंताओं का बराबर आक्रमण होता रहता है। एक चिंता से छुटकारा मिला तो दूसरी सामने तैयार खड़ी रहती है। इसका कारण मनुष्‍य का अपना व्‍यवहार होता है। वह अपने व्‍यवहार के द्वारा चिंता का शिकार स्‍वयं बनता है। अधिकांश दैहिक चिंताओं को वह स्‍वयं निमंत्रण देता है। दैहिक चिंताएं एक बार लग जाने पर उसका शरीर बेतरह तोड़ डालती हैं। और अधिकांश का जन्‍म वहम के कारण होता है। जब आपके मन में वहम के कारण दैहिक चिंताएं जन्‍म ले लिया करती हैं तो आप उनका शिकार बन जाया करते हैं। लेकिन फिर भी ज्‍यादातर मनुष्‍य स्‍वयं को चिन्‍ताओं से घिरा हुआ महसूस करते हैं। खाते-पीते, चलते-फिरते वे किसी किसी चिन्‍ता का शिकार हुए नजर आते हैं। ये चिन्‍ताएं ही उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास में अवरोध उत्‍पन्‍न करती हैं। लेकिन दुनिया में कोई भी चिन्‍ता ऐसी नहीं है जिसका साहस के द्वारा मुकाबला किया जा सके। अब सबसे पहले इस बात पर विचार करना जरूरी हो जाता है कि साहस क्‍या है? हम आत्‍मविश्‍वास, आत्‍माभिमान एवं आत्‍मसम्‍मान से ही साहस की भावना को अपने अन्‍दर विकसित कर सकते हैं। जिस व्‍यक्ति मेें आत्‍मविश्‍वास नहीं, वह साहसी नहीं हो सकता। वह प्रत्‍येक बात, जो हमारी योग्‍यता हमारे विश्‍वास का दृढ़ बनाता है, हमारे साहस को कई गुणा बढ़ा देती है। साहस किसी कार्य को करने की सामर्थ्‍य नहीं, अपितु उस कार्य के प्रति हमारा रवैया है तथा वही सफलता-असफलता की विभाजन रेखा है। कोई मनुष्‍य जिस कार्य को भली-भांति कर सकता है, यदि वह उसी कार्य काे अनिश्चित मन से डरते-झिझकते प्रारम्‍भ करता है, तो वह आधी बाजी तो उसी समय हार जाता है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि साहस रूपी टॉनिक एक बेहतरीन मानसिक औषधि है। यदि आप आशावादी हैं, यदि आपको विश्‍वास है कि आप महान कार्य सम्‍पन्‍न कर सकते हैं, आप यदि साहस से ओत-प्राेत हैं तो आपको प्रगति रूपी रथ पर सवार होने से कोई नहीं रोक सकता। यदि आपको कहीं पराजित भी होना पड़ता है तो आपकी यह पराजय क्षणिक ही होगी, अन्‍तत: विजय तो आपकी ही होकर रहेगी।  
जो मनुष्‍य साहस से काम लेता है, कभी साहस नहीं त्‍यागता, वह कभी जीवन में पराजित नहीं हो सकता। केवल वर्तमान में अपितु प्राचीन काल से ही मनुष्‍य की महानता उसके साहस से मापी जाती है। यदि कोई मनुष्‍य साहसी एवं पराक्रमी है, तो दुनिया उसका गुणगान करती है, उसे वीर एवं साहसी कहकर उसे सम्‍मानित करती है। ऐसे लोगों के जीवन से अनेकानेक लोगों को प्रेरणा मिलती है। सभ्‍यता एवं संस्‍कृति का निर्माण सदैव साहसी एवं दूरदर्शी लोगों के हाथों ही हुआ है। कायरता एवं आत्‍मनिंदा सिर्फ हमारी उन्‍नति में बाधक हैं, अपितु हमारे शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य को भी नष्‍ट कर डालती हैं। यदि हम स्‍वयं को दीन-हीन व्‍यक्ति समझते हैं तथा एक विशेष सीमा से आगे बढ़ सकने का विश्‍वास और साहस हमारे भीतर नहीं है, तो हम कभी उस सीमा को नहीं लांघ सकते।  
 

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