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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Jan 12th 2021, 06:18 by SubodhKhare1340667
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आरक्षी केंद्र चंदेरी, जिला अशोकनगर द्वारा आरोपीगण के विरूद्ध यह अभियोग-पत्र अंतर्गत भारतीय दण्ड विधान की धारा 289, 294, 323, 506बी, 34 के विचारण हेतु प्रस्तुत किया गया है। प्रकरण में आरोपीगण की गिरफ्तारी व पहचान स्वीकृत तथ्य है।
प्रकरण में उल्लेखनीय है कि आरोपीगण का फरियादी एवं आहत से राजीनामा हो गया है जिसके फलस्वरूप आरोपीगण को भारतीय दण्ड विधान की धारा 294, 323/34-2 शीर्ष, 506बी के आरोप से दोषमुक्त किया जा चुका है। यह निर्णय भारतीय दण्ड विधान की धारा 289-2 शीर्ष के संबंध में पारित किया जा रहा है।
अभियोजन की कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि मामले के फरियादी राजू ने दिनांक 28 दिसम्बर 2014 को आरक्षी केंद्र चंदेरी में इस आशय की रिपोर्ट लेखबद्ध कराई की घटना दिनांक को उसका लडका अनिल व उसके चाचा का लडका सत्येन्द्र स्कूल से घर आ रहे थे। रास्ते में संतुआ का पालतू कुत्ता जयराम के घर के सामने रास्ते में बैठा था। उसके लडके अमित व चाचा के लडके सत्येन्द्र को कुत्ते ने काट लिया। जब उसने यह बात संतुआ के घर जाकर उसे बताई एवं इलाज कराने को कहा तब संतुआ उसे मां-बहन की बुरी-बुरी गालियां देते हुये बोला कि आजा तेरा इलाज कराता हूँ और लाठी से मारपीट की जिससे चोटें आईं। उसकी पत्नी रामकुंवर बचाने आई तो संतुआ के चचेरे भाई हीरालाल ने उसकी पत्नी रामकुंवर की लाठी से मारपीट की। फरियादी के रिपोट के आधार पर आरोपीगण के विरूद्ध अपराध क्रमांक 366/14 के अंतर्गत भारतीय दण्ड विधान की धारा के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की गयी एवं विवेचना उपरांत अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
आरोपी संतुआ के विद्वान अधिवक्ता श्री अंशुल श्रीवास्तव का निवेदन है कि उक्त अपराध आरोपी का प्रथम अपराध है और उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। अत: उनका निवेदन है कि आरोपी संतुआ को परिवीक्षा का लाभ देकर छोड दिया जावे। प्रकरण में स्पष्ट है कि आरोपी द्वाराउक्त अपराध कारित किया गया है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते थे। अत: उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुये यदि आरोपी को परिवीक्षा का लाभ दिया जाता है तो उसका गलत संदेश समाज में जाने की संभावना है।
प्रकरण में उल्लेखनीय है कि आरोपीगण का फरियादी एवं आहत से राजीनामा हो गया है जिसके फलस्वरूप आरोपीगण को भारतीय दण्ड विधान की धारा 294, 323/34-2 शीर्ष, 506बी के आरोप से दोषमुक्त किया जा चुका है। यह निर्णय भारतीय दण्ड विधान की धारा 289-2 शीर्ष के संबंध में पारित किया जा रहा है।
अभियोजन की कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि मामले के फरियादी राजू ने दिनांक 28 दिसम्बर 2014 को आरक्षी केंद्र चंदेरी में इस आशय की रिपोर्ट लेखबद्ध कराई की घटना दिनांक को उसका लडका अनिल व उसके चाचा का लडका सत्येन्द्र स्कूल से घर आ रहे थे। रास्ते में संतुआ का पालतू कुत्ता जयराम के घर के सामने रास्ते में बैठा था। उसके लडके अमित व चाचा के लडके सत्येन्द्र को कुत्ते ने काट लिया। जब उसने यह बात संतुआ के घर जाकर उसे बताई एवं इलाज कराने को कहा तब संतुआ उसे मां-बहन की बुरी-बुरी गालियां देते हुये बोला कि आजा तेरा इलाज कराता हूँ और लाठी से मारपीट की जिससे चोटें आईं। उसकी पत्नी रामकुंवर बचाने आई तो संतुआ के चचेरे भाई हीरालाल ने उसकी पत्नी रामकुंवर की लाठी से मारपीट की। फरियादी के रिपोट के आधार पर आरोपीगण के विरूद्ध अपराध क्रमांक 366/14 के अंतर्गत भारतीय दण्ड विधान की धारा के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की गयी एवं विवेचना उपरांत अभियोग-पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
आरोपी संतुआ के विद्वान अधिवक्ता श्री अंशुल श्रीवास्तव का निवेदन है कि उक्त अपराध आरोपी का प्रथम अपराध है और उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। अत: उनका निवेदन है कि आरोपी संतुआ को परिवीक्षा का लाभ देकर छोड दिया जावे। प्रकरण में स्पष्ट है कि आरोपी द्वाराउक्त अपराध कारित किया गया है जिसके गंभीर परिणाम हो सकते थे। अत: उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुये यदि आरोपी को परिवीक्षा का लाभ दिया जाता है तो उसका गलत संदेश समाज में जाने की संभावना है।
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