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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Jan 12th 2021, 05:34 by my home
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हमारा देश युवाओं का देश है। यह एक अवसर है उस महान आत्मा को याद करने का जिसने समूचे विश्व में देश का नाम रोशन किया। दुनिया का भारतीय संस्कृति और सनातन जीवन पद्धति से परिचय कराया। उनके सम्मान में 12 जनवरी को पूरे देश में राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
देश में स्वामी विवेकानंद राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में युवाओं के महत्व के बारे में बहुत मुखर थे। विवेकानंद ने विदेशों में जो हासिल किया उसने भारत की आध्यात्मिकता छवि और योग वेदांग संस्कृति को पुनर्जीवित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उन्होंने जो भाषण दिया, वह अमेरिका की बहनों और भाईयों के साथ शुरू हुआ, जिसने उन्हें विश्व स्तर पर अलौकिक और तेजस्वी वक्ता एवं दार्शनिक के तौर पर पहचान दिलाई उनके दिए गए उपदेश और बताए गए आदर्श आज भी अमर हैं। स्वामी विवेकानंद ने हमेशा युवाओं की क्षमता का दोहन करने पर ध्यान केंद्रित किया। वह युवा पीढ़ी को प्रेरित करना चाहते थे ताकि वे अंग्रेजों का मुकाबला कर सकें और स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें।
स्वामी विवेकानंद के विचारों में ऐसी क्षमता है कि वो हर किसी व्यक्ति के जीवन को बदल सकते हैं। विवेकानंद के दुनिया को जीतने के हथियार शिक्षा और शांति थे। वे चाहते थे कि युवा अपने आरामदायक जीवनचर्या से बाहर निकलें और वे अपनी इच्छा के अनुसार कुछ हासिल करें। विवेकानंद ने अपने हर विचार को बुद्धि और तर्क के जरिए स्थापित किया। विवेकानंद को दर्शन, धर्म, साहित्य, वेद, पुराण, उपनिषद की विलक्षण समझ थी। विवेकानंद का कहना था कि पढ़ने के लिए एकाग्रता जरूरी है और एकाग्र होने के लिए ध्यान जरूरी है। ध्यान से ही हम अपनी इंद्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।
विश्व में जहां भी उन्होंने व्याख्यान दिए सभी जगह उनके द्वारा दिए गए उद्यबोधन के प्रेरणास्रोत बनें। उनके द्वारा बोले गए प्रत्येक शब्द अपने आप में गहन विषय का द्योतक था। स्वामी विवेकानंद की आकांक्षा युवाओं को उस हद तक प्रेरित करने के लिए थी कि वे उन परिवर्तनों को आवाज देना शुरू करें जो वे चाहते हैं और अंतत: उन्हें पूरा करते हैं। उनकी दृष्टि को सम्मान देने और युवाओं को उस पर कार्य करने के लिए प्रेरित करने के लिए, देश भर में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा था कि जब तक तुम खुद पर भरोसा नहीं करोगे, तब तक ईश्वर पर भरोसा नहीं हो सकता। उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते।
देश में स्वामी विवेकानंद राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में युवाओं के महत्व के बारे में बहुत मुखर थे। विवेकानंद ने विदेशों में जो हासिल किया उसने भारत की आध्यात्मिकता छवि और योग वेदांग संस्कृति को पुनर्जीवित करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में उन्होंने जो भाषण दिया, वह अमेरिका की बहनों और भाईयों के साथ शुरू हुआ, जिसने उन्हें विश्व स्तर पर अलौकिक और तेजस्वी वक्ता एवं दार्शनिक के तौर पर पहचान दिलाई उनके दिए गए उपदेश और बताए गए आदर्श आज भी अमर हैं। स्वामी विवेकानंद ने हमेशा युवाओं की क्षमता का दोहन करने पर ध्यान केंद्रित किया। वह युवा पीढ़ी को प्रेरित करना चाहते थे ताकि वे अंग्रेजों का मुकाबला कर सकें और स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें।
स्वामी विवेकानंद के विचारों में ऐसी क्षमता है कि वो हर किसी व्यक्ति के जीवन को बदल सकते हैं। विवेकानंद के दुनिया को जीतने के हथियार शिक्षा और शांति थे। वे चाहते थे कि युवा अपने आरामदायक जीवनचर्या से बाहर निकलें और वे अपनी इच्छा के अनुसार कुछ हासिल करें। विवेकानंद ने अपने हर विचार को बुद्धि और तर्क के जरिए स्थापित किया। विवेकानंद को दर्शन, धर्म, साहित्य, वेद, पुराण, उपनिषद की विलक्षण समझ थी। विवेकानंद का कहना था कि पढ़ने के लिए एकाग्रता जरूरी है और एकाग्र होने के लिए ध्यान जरूरी है। ध्यान से ही हम अपनी इंद्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं।
विश्व में जहां भी उन्होंने व्याख्यान दिए सभी जगह उनके द्वारा दिए गए उद्यबोधन के प्रेरणास्रोत बनें। उनके द्वारा बोले गए प्रत्येक शब्द अपने आप में गहन विषय का द्योतक था। स्वामी विवेकानंद की आकांक्षा युवाओं को उस हद तक प्रेरित करने के लिए थी कि वे उन परिवर्तनों को आवाज देना शुरू करें जो वे चाहते हैं और अंतत: उन्हें पूरा करते हैं। उनकी दृष्टि को सम्मान देने और युवाओं को उस पर कार्य करने के लिए प्रेरित करने के लिए, देश भर में राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। उन्होंने कहा था कि जब तक तुम खुद पर भरोसा नहीं करोगे, तब तक ईश्वर पर भरोसा नहीं हो सकता। उठो, जागो और तब तक मत रूको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते।
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