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----- चोर -----
created Jul 16th 2015, 08:33 by AMIT RAIZADA
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स्टेशन के पास खड़े ठेले से दस वर्षीय वह लड़का मुट्ठी भर सिका चना उठाकर भाग खड़ा हुआ। चने वाला चिल्लाया, - पकड़ो, पकड़ो, चोर लड़का पूरी ताकत से दौड़ा, मगर लोगों ने उसे धर दबोचा। दो–चार झापड़ रसीद कर दिए। उस समय भी कुछ चने उसके मुंह में और कुछ कसी मुट्ठी में थे। उसे पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। पुलिस द्वारा सुताई करने पर उसने बताया कि वह परसों ही गांव से आया है। उसके मां–बाप सामूहिक हत्याकांड में मारे गए हैं। दो दिन से भूखा था, इसीलिए ठेले से चने उठा लिए थे। पर पुलिस वालों ने एक न सुनी। सींखची में बंद कर दिया। देर तक वह सिसकता रहा। भूख और पीड़ा के कारण देर तक नींद नहीं आई। सोने से पहले, आदत के अनुसार, उसने गले में पड़ी सोने का पानी चढ़ी चैन से लटक रही साईं बाबा की छोटी–सी तस्वीर को हाथ से छूकर नमन किया।
सुबह नींबू टिकाने जैसी मूँछों वाले कांस्टेबल ने डंडा बजाते हुए जगाया तो आदत के अनुसार साईं बाबा को स्मरण करने के लिए उसने चैन टटोली। वह वहाँ नहीं थी।
सुबह नींबू टिकाने जैसी मूँछों वाले कांस्टेबल ने डंडा बजाते हुए जगाया तो आदत के अनुसार साईं बाबा को स्मरण करने के लिए उसने चैन टटोली। वह वहाँ नहीं थी।
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