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साँई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Nov 29th 2020, 11:24 by sandhya shrivatri


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सोनू हिरन, रंगीला मोर, पिंकी बकरी हीरू बंदर कोयल के यहां कैसियो सीखने जाया करते थे। चारों सीखते कम थे और बाते ज्‍यादा करते थे। मीठी कोयल कभी प्‍यार से, तो कभी नकली गुस्‍से उन्‍हें समझाती और कैसिया सिखाने की कोशिश करती। कुछ गाने वह लोग सीख भी गए। परन्‍तु घर जा कर वह प्रैक्टिस तो करते ही नहीं थे इसलिए बार-बार भूल जाते और एक-एक गीत सीखने में कई-कई दिन लगा देते थे। तभी एक दिन गोपू खरगोश ने भी मीठी की संगीत कक्षा ज्‍वाइन की। वह भी अपना कैसियों लेकर संगीत सीखने आने लगा। गोपू बहुत मन लगा कर सीखता था। मीठी के बताए सभी नोट्स को बहुत ध्‍यान से याद रखता और साथ ही डायरी में नोट भी कर लेता। गोपू केवल क्‍लास में ही बार-बार बजा कर देखता, बल्कि घर पर बचे हुए समय में प्रैक्टिस कर लेता।  
नतीजा यह हुआ कि वह बहुत जल्‍दी ही अच्‍छा कैसियों बजाना सीख गया। मीठी उसकी प्रशंसा करती और सोनू, हीरू, पिंकी रंगीला को भी उससे प्रेरणा लेने के लिए उकसाती, देखो इतने कम दिनों में ही गोपू कितना बढि़या बजाना सीख गया, अगर तुम लोग भी इसी तरह अभ्‍यास करो तो तुम सब भी जल्‍दी सीख सकते हो। शाबाश गोपू टीचर की प्रशंसा प्रेरणा से गोपू में और लगन से सीखने की इच्‍छा पैदा होती और वह अधिक मेहनत करता।  
एक दिन राजा शार्दूल सिंह की तरफ से घोषणा कराई गई, इस बार वन महोत्‍सव मनाया जाएगा। तरह-तरह के सांस्‍कृतिक कार्यक्रम जैसे नृत्‍य, संगीत, हास्‍य आदि की प्रतियोगिताएं होंगी। जो भी जानवर किसी कला में प्रदर्शन करना चाहे वह अपना नाम सेनापति गैंडा सिंह को दो दिनों में नोट करा दे। महोत्‍सव 15 दिन बाद शुरू होगा और महाराज स्‍वयं पुरस्‍कार वितरण करेगे। नन्‍दन वन के साथ ही आसपास के वनों के जानवर भी आमंत्रित है। मीठी कोयल को जब महोत्‍सव की जानकारी मिली तो उसने अपने छात्रों को संगीत प्रतियोगिता में हिस्‍सा लेने को कहा। सभी तुरंत तैयार हो गये। अगले दिन से ही मीठी ने एक बहुत सुदंर गीत सिखाना शुरू कर दिया। सोनू, गोपू, रंगीला, हीरू पिंकी पहने दिन दो लाइनें सीख गये। मीठी ने सभी से उन्‍हीं दो लाइनों की घर पर अच्‍छे से प्रैक्टिस करने को कहा। अब क्‍लास कुछ ज्‍यादा देर तक चलने लगी थी और सभी मेहनत कर रहे थे। किन्‍तु गोपू के अलावा सभी बच्‍चे ऊबने लगे, क्‍योंकि खेलने के लिए कम समय मिलता था। धीरे-धीरे घर पर होने वाली प्रैक्टिस कम होने लगी। नतीजा यह हुआ कि गोपू को छोड़कर बाकी बच्‍चों को लाइने याद ही नहीं रहती थीं। यह देख कर मीठी को दुख हुआ। उसने बच्‍चों में उत्‍साह भरने की कोशिश की और फिर से पंक्तियां सिखायी। कई दिनों की मेहनत से धीरे-धीरे पूरा गाना सीख गए।  

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