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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Nov 28th 2020, 11:45 by ddayal2004
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अलादीन के चिराग की कहानी तो आपने कभी न कभी सुनी ही होगी, जिसमें आपने सुना होगा की अलादीन को एक चिराग मिल जाता है, और उसका वह इस्तेमाल करता है, पर क्या आपको पता है की उसको वह चिराग कब और कैसे मिलता है, क्योंकि अलादीन तो गरीब आदमी था तो उसके साथ ऐसा क्या हुआ जो उसे वो चिराग मिला, यह बात को काफी साल बीत गए है पर ये किस्सा आज भी सभी को याद है, अफगानिस्थान में मुस्तफा नाम का आदमी रहता था मुस्तफा बहुत ही गरीब आदमी था लोगों के छोटे मोठे काम करता था अपना गुजारा करता था, लोगों के कपड़े सीना, या कहे की दरजी का काम करता था, उसका एक लड़का था जिसका नाम अलादीन था, मुस्तफा अपने लड़के को बहुत पढाना चाहता था जिससे वो पढ़ लिख कर कुछ बन जाए पर अलादीन का मन तो हमेशा ही खेल में लगा रहता था उसका मन न किसी काम में लगता था न पढ़ने में।
मुस्तफा अलादीन को हमेशा समझाता था कि अगर वो पढ़ लिख लेगा तो कुछ बन जाएगा नहीं तो बेटा यही काम करना पड़ेगा जिसमें मुश्किल से ही गुजारा होता है, मुस्तफा जब अलादीन को देखता तो वो हमेशा ही खेलता रहता था एक दिन मुस्तफा ने सोचा की ऐसे भी ये दरजी काम सीखा देता हूं आगे चलकर ये इसके काम ही आएगा पर जब मुस्तफा ने सिखाना चाहा तो अलादीन ने ये करने से भी मना कर दिया, अब मुस्तफा काफी परेशान हो गया था और खेद था की इस लड़के का अब में क्या करूं, ये कुछ भी नहीं करना चाहता। अलादीन को जब भी मुस्तफा देखता तो उसे हमेशा ही चिंता बनी रहती की ये क्या करेगा और पता नहीं ये गलत राह पर न चला जाए इसी के चलते मुस्तफा एक दिन इस दुनिया से चला गया अब अलादीन और उसकी माँ ही रह गए थे, अब उसकी माँ को भी चिंता होने लगी की ये अब क्या करेगा और इसका अब ध्यान बहुत ही ज्यादा रखना पड़ेगा, पहले तो इसके बाबा थे अब वो नहीं रहे अब मुझे ही इसको समझाना पड़ेगा।
एक दिन अलादीन अपने गांव से खेलता खेलता ज्यादा दूर निकल गया, जब अलादीन थोड़ा आगे आया गया तो उसे एक सौदागर मिला देखने में वो बड़ा अजीब सा दिखता था उसके हाथ में झोला लटका हुआ था, वह सौदागर पास आया और बोला की तुम्हारा ही नाम अलादीन है, अपना नाम सुनकर अलादीन को बड़ा अजीब सा लगा क्योंकि उसने कभी भी उस आदमी को नहीं देखा और उसका नाम कैसे जानता है, अलादीन ने सौदागर से पूछा की मैंने आपको कभी नहीं देखा पर मेरा नाम कैसे जानते हो इस सौदागर ने कहा की मैं तुम्हारे बाबा को जानता हूं और उन्हीं से तुम्हारे बारे में मुझे पता चला।
मुस्तफा अलादीन को हमेशा समझाता था कि अगर वो पढ़ लिख लेगा तो कुछ बन जाएगा नहीं तो बेटा यही काम करना पड़ेगा जिसमें मुश्किल से ही गुजारा होता है, मुस्तफा जब अलादीन को देखता तो वो हमेशा ही खेलता रहता था एक दिन मुस्तफा ने सोचा की ऐसे भी ये दरजी काम सीखा देता हूं आगे चलकर ये इसके काम ही आएगा पर जब मुस्तफा ने सिखाना चाहा तो अलादीन ने ये करने से भी मना कर दिया, अब मुस्तफा काफी परेशान हो गया था और खेद था की इस लड़के का अब में क्या करूं, ये कुछ भी नहीं करना चाहता। अलादीन को जब भी मुस्तफा देखता तो उसे हमेशा ही चिंता बनी रहती की ये क्या करेगा और पता नहीं ये गलत राह पर न चला जाए इसी के चलते मुस्तफा एक दिन इस दुनिया से चला गया अब अलादीन और उसकी माँ ही रह गए थे, अब उसकी माँ को भी चिंता होने लगी की ये अब क्या करेगा और इसका अब ध्यान बहुत ही ज्यादा रखना पड़ेगा, पहले तो इसके बाबा थे अब वो नहीं रहे अब मुझे ही इसको समझाना पड़ेगा।
एक दिन अलादीन अपने गांव से खेलता खेलता ज्यादा दूर निकल गया, जब अलादीन थोड़ा आगे आया गया तो उसे एक सौदागर मिला देखने में वो बड़ा अजीब सा दिखता था उसके हाथ में झोला लटका हुआ था, वह सौदागर पास आया और बोला की तुम्हारा ही नाम अलादीन है, अपना नाम सुनकर अलादीन को बड़ा अजीब सा लगा क्योंकि उसने कभी भी उस आदमी को नहीं देखा और उसका नाम कैसे जानता है, अलादीन ने सौदागर से पूछा की मैंने आपको कभी नहीं देखा पर मेरा नाम कैसे जानते हो इस सौदागर ने कहा की मैं तुम्हारे बाबा को जानता हूं और उन्हीं से तुम्हारे बारे में मुझे पता चला।
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