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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 23rd 2020, 15:13 by vinitayadav
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अकबर बीरबर से तरह-तरह के अजीबो-गरीब प्रश्न पूछा करते थे। कुछ प्रश्न ऐसे भी होते थे जो वह बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए पुछते थे। एक बार अकबर बीरबल से बोले- बीरबल इस दुनिया में कोई अमीर है कोई गरीब हैं ऐसा क्यों होता है?
सब लोग ईश्वर को परमपिता कहते हैं इस नाते सभी आदमी उनके ही हुए। पिता अपने बच्चों को सदा खुशहाल देखना चाहता है फिर ईश्वर परमपिता होकर क्यों किसी को आराम का पुतला बनाता हैं और किसी को मुट्ठीभर अनाज के लिए दर-दर भटकाता है? आलमपनाह अगर ईश्वर ऐसा न करे तो उसकी चल ही नहीं सकती। वैसे तो दुनिया में पांच पिता कहे गये हैं इस नाते आप भी अपनी प्रजा के पिता है फिर आप किसी को हजार किसी को पांच सौ किसी को पचास तो किसी को सिर्फ पांच-सांत रूपये ही वेतन देते है। जबकि एक महीने तक आप सभी से सख्ती से काम लेते है। ऐसा क्यो? सभी को एक ही नजर से क्यों नहीं देखते। बीरबल ने अकबर के प्रश्न का उत्तर देनेे के बजाय प्रश्न किया अकबर तुरन्त कोई भी जवाब नहीं दे सके उल्टे सोच में पड़ गये।
अकबर को इस तरह खयालों में खोया देखकर बीरबल बोले- जो जैसा काम करता हैं उसे वैसी ही मजदूरी मिलती है। और इसी पर दुनिया का कारोबार चलता है। अगर ऐसा न हो तो यह दुनिया चल ही नहीं सकती। इसी तरह ईश्वर का न्याय हेाता है। वह कभी नही चाहता कि दुनिया के लोग दुख उठाये, ईश्वर हमेशा उन्हें मुश्किलों से बचाता है लेकिन जो कोई उसकी बात नहीं मानता उसे सजा भूगती पड़ती है। जो जैसा काम करता हैं उसे वैसा ही फल मिलता है। जो ज्यादा मेहनत करता है वह धनवान बनता है जो कम काम करता हैं वह गरीब होता है। इसमें ईश्वर का क्या दोष।
सब लोग ईश्वर को परमपिता कहते हैं इस नाते सभी आदमी उनके ही हुए। पिता अपने बच्चों को सदा खुशहाल देखना चाहता है फिर ईश्वर परमपिता होकर क्यों किसी को आराम का पुतला बनाता हैं और किसी को मुट्ठीभर अनाज के लिए दर-दर भटकाता है? आलमपनाह अगर ईश्वर ऐसा न करे तो उसकी चल ही नहीं सकती। वैसे तो दुनिया में पांच पिता कहे गये हैं इस नाते आप भी अपनी प्रजा के पिता है फिर आप किसी को हजार किसी को पांच सौ किसी को पचास तो किसी को सिर्फ पांच-सांत रूपये ही वेतन देते है। जबकि एक महीने तक आप सभी से सख्ती से काम लेते है। ऐसा क्यो? सभी को एक ही नजर से क्यों नहीं देखते। बीरबल ने अकबर के प्रश्न का उत्तर देनेे के बजाय प्रश्न किया अकबर तुरन्त कोई भी जवाब नहीं दे सके उल्टे सोच में पड़ गये।
अकबर को इस तरह खयालों में खोया देखकर बीरबल बोले- जो जैसा काम करता हैं उसे वैसी ही मजदूरी मिलती है। और इसी पर दुनिया का कारोबार चलता है। अगर ऐसा न हो तो यह दुनिया चल ही नहीं सकती। इसी तरह ईश्वर का न्याय हेाता है। वह कभी नही चाहता कि दुनिया के लोग दुख उठाये, ईश्वर हमेशा उन्हें मुश्किलों से बचाता है लेकिन जो कोई उसकी बात नहीं मानता उसे सजा भूगती पड़ती है। जो जैसा काम करता हैं उसे वैसा ही फल मिलता है। जो ज्यादा मेहनत करता है वह धनवान बनता है जो कम काम करता हैं वह गरीब होता है। इसमें ईश्वर का क्या दोष।
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