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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Nov 23rd 2020, 11:39 by subodh khare


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सभ्‍य समाज के नागरिक संस्‍कृति, संविधान और विधि का स्‍वत: पालन करते हैं। दुनिया के अन्‍य समाजों की तरह भारतीय समाज भी आदिम मानव सभ्‍यता से आधुनिक सभ्‍यता तक आया है। समाज का सतत विकास हुआ है। अतीत में वैदिक समाज का इतिहास है। इस समाज में समता थी। समाज के सदस्‍यों में कर्तव्‍य पालन की होड़ थी। वैदिक पूर्वजों ने दायित्‍व बोध वाले नागरिक गढ़े थे। अथर्ववेद में सामाजिक विकास के सूत्र हैं। बताते हैं कि पहले परिवार संस्‍था का विकास हुआ। परिवार नाम की संस्‍था में सभी सदस्‍यों के कर्तव्‍य निश्‍चित थे। अधिकार की कोई आवश्‍यकता नहीं थी। माता-पिता का कर्तव्‍य संतान का पालन-पोषण था। इस तरह पुत्र को उन्‍नति करने का अधिकार स्‍वत: मिलता था। यह सामाजिक विकास का प्रथम चरण था।  आगे कहते हैं कि विमर्श के लिए लोगों का एकत्रीकरण होने लगा। इससे सभा का विकास हुआ। इससे नागरिक कर्तव्‍य निभाने और दूसरों को दायित्‍व बोध के लिए प्रेरित करने वाले लोग सभा के योग्‍य बने। वही सभ्‍य कहलाए, सभ्‍यता का मूल तत्‍व है कर्तव्‍य पालन, लेकिन कर्तव्‍य पालन की यह प्रवृत्ति लगातार घटती गई।
    ब्रिटिश सत्‍ता के साथ ब्रिटिश शिक्षा आई। हम पर ब्रिटिश सभ्‍यता का प्रभाव पड़ा। ब्रिटिश नागरिक अपने देश में कर्तव्‍य पालन के प्रति सजग थे और हैं, पर हम भारतीय उनसे अधिकार ही सीख पाए।

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