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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Nov 23rd 2020, 10:57 by DeendayalVishwakarma


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समाज की गुणवत्‍ता नागरिकों के कर्तव्‍य पालन का परिणाम होती है। आधुनिक भारतीय समाज पूर्वजों के सचेत कर्तव्‍य पालन का परिणाम है। समाज का नियमन द्वारा ही होता है। राज व्‍यवस्‍था का जन्‍म बाद में हुआ है। महाभारत में अति प्राचीन समाज का उल्‍लेख है कि तब राजा था राजदंड था। सभी नागरिक स्‍वयं सामाजिक नियमों का पालन करते थे। फिर समाज में अराजकता बढ़ी। राज व्‍यवस्‍था का जन्‍म हुआ। प्राचीन भारत में विधि और नियम के उल्‍लंघन पर दंड का प्रविधान था। अब भी है, लेकिन कर्तव्‍य पालन ही आदर्श समाज की धुरी है। आदर्श समाज के नागरिक कर्तव्‍य पालन करते हैं। कर्तव्‍य पालन से समाज और राज प्रदत्‍त अधिकार भी मिलते हैं। संप्रति भारती समाज के बड़ वर्ग द्वारा कर्तव्‍य पालन का मखौल उड़ाया जा रहा है। कोरोना वैश्विक महामारी है। इसका अभी तक कोई उपचार नहीं खोजा जा सका है, लोग मर रहे हैं तो भी यहां मास्‍क और शारीरिक दूरी के नियम की अवहेलना हो रही है। शुरुआती दौर में प्रधानमंत्री द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के समय अल्‍पकालीन संयम दिखा। उसके बाद से इस नागरिक कर्तव्‍य की अवहेलना हो रही है। गर्मियों में लू चलती है। लोग देह ढक लेते हैं। इसी तरह शीत ऋतु में जरूरी वस्‍त्र भी पहन लेते हैं, लेकिन प्राणलेवा कोरोना के प्रोटोकाल का मजाक उड़ाया जा रहा है। सरकारें परेशान हैं। कई राज्‍य कोरोना प्रोटोकाल का पालन कराने के लिए कठोर निर्णय ले रहे हैं, लेकिन इसका प्रभाव नहीं दिखाई पड़ता। भारतीय समाज प्राचीनकाल से ही विधि और मर्यादा के अनुशासन में रहा है, मगर आश्‍चर्य है प्राणहंता चुनौतियों के सामने हम साधारण संयम भी बरतने को तैयार नहीं है।
    पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति भी भयावह है। राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली सहित अनेक राज्‍यों में वायु प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक है। दीपावली के अवसर पर पटाखों पर रोक के निर्देश जारी हुए थे। यह सब हमारे ही स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से किया गया था, लेकिन इस निर्देश की भी अवहेलना हुई। हरियाणा और पंजाब राज्‍यों में किसानों द्वारा खेतों में ही पराली जलाने का काम होता रहा है। धीरे-धीरे यही लत पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश से बुंदेलखंड और अवध क्षेत्रों तक फैल गई है। सरकारें चिंतित हैं, पराली जलाने वाले नागरिक कर्तव्‍य नहीं निभाते।
    हमारे संविधान में प्रत्‍येक नागरिक को मूल अधिकारों की प्रतिभूति है। साथ ही अनुच्‍छेद 51 (क) में मूल कर्तव्‍य भी हैं कि प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा करें। वन, झील, नदी और वन्‍य जीवों की भी रक्षा करें। इस अनुच्‍छेद में अनेक कर्तव्‍य है, परंतु उनकी निरंतर अवहेलना हो रही है।
     

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