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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 23rd 2020, 06:14 by lucky shrivatri
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अब तुम मेरे पास आओ और अपना प्रकरण पेश करो। आपस में झगड़ना पेश्तर बाहर के लोगों का काम नहीं होता चाहिये। यह खराब बात है। देर रात घर आना और धीरे-धीरे काम करना तथा परिवार से दूर रहना या इधर-उधर, जिधर-तिधर भटकना अच्छा नही होता। कल काला नाग केवल मुश्किल का कारण था। काबिल लोग उसे निकाल लाये नहीं तो वह बिला जाता बल्कि वे लोग बिल्कुल ठीक समय पर मेम्बर सहित अपने नम्बर पर आ गये। इस इफ्ता अपना हिस्सा हमेशा की तरह क्यों नहीं बांटा। हिन्दुस्तान का हिन्दू हिन्दी बोलना ज्यादा ठीक समझता है। अधिक जल गिरने के कारण सारा जलसा बेकार हो गया और जल्दी बिजली न आने से जेल के पास अंधेरा सा हो गया तथा साधारण लोग सारा सामान नहीं ला सके। सबेरा होते ही सर्वधर्म सभा शुरू हो गयी। राम आ गया। पिताजी आयेेे, सोहन आता होगा। वैसे सभी को आना चाहिये। आप आओ मामाजी आप भी आइये। स्वराज्य प्राप्त करने में स्वयं स्वतंत्र भाव से लोग लगे थे, एवं स्वरूप भी स्वीकार कर स्वतन्त्रता प्राप्ति का प्रस्ताव बनाकर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे थे। अत्र-तत्र सर्वत्र खुशियां ही खुशियां थी। लेकिन अंग्रेज त्रस्त होकर प्रस्थान करने की तैयारी कर रहे थे। जनता परिवार समेत सेतमेत में सहायता सम्मति सहित कर रही थी और लोग अचम्भा कर रहे थे। मुझे भी बारम्बार परतन्त्रता की याद आती थी और सोचता था परमात्मा कब यह राज्य समाप्त हो।
अगर अंग्रेज बगैर युद्ध के भी भारत छोड़ देते तो युवक यथार्थ में सन्तोष प्राप्त करता किन्तु अंग्रेजी थोप कर कठिन परेशानी खड़ी कर दी थी। एक लम्बा चौड़ा खेत खरीदों और उसके बीच में एक ऊंचा मकान बनाओं यह पूरा कार्य परसों नहीं वरसों में पूरा होगा। परस्पर मेल रखो अर्थात् इसका भी कोई अतिरिक्त उदाहरण खोजो। खाना खाते वक्त इधर-उधर मत देखा करो। इस तरह देखना बुरी आदत होती है। खुद अखबार पढों तथा खूब मेहनत करो तभी आपकी मदद कोई करेगा। यह कैसी अदभुत बात है कि फिर उस पर दफा लगा दी अब उसमें या इसमें फर्क ही क्या रहा? अन्तर तो तब होता जब अधिकतर लोग अन्दर न होकर अन्यत्र चले जाते। इमसें विपत्ति की क्या बात है अपना व्यापार बन्द करके वापिस घर आ जाओ। बे-वजह क्यों परेशान होते हो, वाजिब दाम लेकर सम्पत्ति बेच दो विधि विरूद्ध जाने की क्या जरूरत।
अगर अंग्रेज बगैर युद्ध के भी भारत छोड़ देते तो युवक यथार्थ में सन्तोष प्राप्त करता किन्तु अंग्रेजी थोप कर कठिन परेशानी खड़ी कर दी थी। एक लम्बा चौड़ा खेत खरीदों और उसके बीच में एक ऊंचा मकान बनाओं यह पूरा कार्य परसों नहीं वरसों में पूरा होगा। परस्पर मेल रखो अर्थात् इसका भी कोई अतिरिक्त उदाहरण खोजो। खाना खाते वक्त इधर-उधर मत देखा करो। इस तरह देखना बुरी आदत होती है। खुद अखबार पढों तथा खूब मेहनत करो तभी आपकी मदद कोई करेगा। यह कैसी अदभुत बात है कि फिर उस पर दफा लगा दी अब उसमें या इसमें फर्क ही क्या रहा? अन्तर तो तब होता जब अधिकतर लोग अन्दर न होकर अन्यत्र चले जाते। इमसें विपत्ति की क्या बात है अपना व्यापार बन्द करके वापिस घर आ जाओ। बे-वजह क्यों परेशान होते हो, वाजिब दाम लेकर सम्पत्ति बेच दो विधि विरूद्ध जाने की क्या जरूरत।
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