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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Nov 23rd 2020, 05:53 by GuruKhare


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राम ने रोहित के विरूद्ध एक वाद घोषणा, निष्‍काषन, कब्‍जा एवं अवशेष किराया हेतु इन अभिवचनों के साथ प्रस्‍तुत किया कि धारा में स्थित वादग्रस्‍त भवन उसने इसके पूर्व स्‍वामी से लगभग 3 वर्ष पूर्व क्रय कर लिया है। राम एक किराये के मकान में रहता है और उसे अपने परिवार के निवास हेतु वादग्रस्‍त भवन की सद्भावी आवश्‍यकता है। उसके पास नगर में स्‍वयं का अन्‍य कोई उपयुकत आवास नहीं है। पूर्व में उसने सद्भावी आवश्‍यकता के आधार पर निष्‍काषन का वाद रोहित के विरूद्ध प्रस्‍तुत किया था लेकिन यह वादग्रस्‍त भवन के क्रय से 06 माह के भीतर प्रस्‍तुत होने के निरस्‍त कर दिया गया। उस पूर्व वाद में प्रतिवादी ने किरायेदारी के संबंध को चुनौती दी थी। अत: वादी द्वारा इस वाद में संबंधों की घोषणा की डिक्री भी चाही गई है। क्‍योंकि न्‍यायालय ने यह अभिनिर्धारित कर दिया था कि किरायेदारी प्रमाणित नहीं है।
    रोहित ने वाद अभिकथनों को सारत: अस्‍वीकार किया और लिखित कथन में अभिवचन किया कि पक्षकारों में भू-स्‍वामी और किरायेदार के संबंध नहीं है। वादी को कोई सद्भावी आवश्‍यकता नहीं है और वाद पूर्व न्‍याय के सिद्धांत से भी बाधित है क्‍योंकि सिविल न्‍यायालय वादी के पूर्ववर्ती वाद को यह अभिनिर्धारित करते हुए निरस्‍त कर चुका है कि किरायेदारी प्रमाणित नहीं है। कार्यवाही के दौरान साक्ष्‍य के प्रक्रम पर लिखित कथन में एक पैरा जोडते हुये यह संशोधन किया गया कि वाद के ल‍ंबित रहने के दौरान वादी ने स्‍वयं का मकान क्रय कर कब्‍जा प्राप्‍त कर लिया और अपने परिवार के साथ उसमें रहने लगा है। किराया बकाया होने का प्रश्‍न ही उत्‍पन्‍न नहीं होता है।
    वादी ने मूल विक्रय पत्र एवं पूर्व निर्णय की प्रमाणित प्रति प्रस्‍तुत की है। उसने स्‍वयं को 02 साक्षियों काल्‍लू और बब्‍लू को मौखिक साक्ष्‍य में भी प्रस्‍तुत किया है। वादी राम ने अपने अभिवचनों में बताये तथ्‍यों का कथन किया है। हालांकि उसने प्रतिपरीक्षण में यह स्‍वीकार किया है कि वाद के ल‍ंबित रहने के दौरान उसने एक मकान क्रय किया है जिसमें वह रहता है लेकिन उसने यह स्‍पष्‍ट किया है कि उसके परिवार के सदस्‍य किराये के मकान में ही रहते हैं।  

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