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बंसोड टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा, छिन्‍दवाड़ा मो.न.8982805777 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रांरभ

created Nov 23rd 2020, 02:09 by bansodtyping


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यह अप्रत्य शित नहीं है कि राजधानी दिल्लीर में कोरोना संक्रमण के मामलों में फिर से तेजी आई है। इस बात की आशंका तो काफी पहले से थी, बल्कि तमाम स्वातस्य्के  विशेषज्ञों ने भी आगाह किया था कि सर्दियों और त्योमहारी सीजन के आगमन के साथ कोरोना की दूसरी लहर सकती है। यूरोप के देशों की नजीर भी हमारे सामने थी। फिर अनलॉक की प्रक्रिया के कारण नागरिक गतिविधियों में भी तेजी अपेक्षित थी। पर पिछले एक सप्तानह में जितनी बड़ी तादाद में संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं, उससे केंद्र राज्यथ सरकार का चिंतित होना स्वांभाविक है। खासकर, नीति आयोग ने राजधानी में आने वाले दिनों में प्रति दस लाख आबादी पर 500 लोगों के संक्रमित होने का जो अंदेशा जताया है, उसे देखते हुए दोनों सरकारों की सक्रियता बहुत जरूरी है। सिर्फ मौजूदा 3,491 आईसीयू बेड की संख्याा बढ़ाकर करीब साढ़े छह हजार किए जाने का उपक्रम शुरू हो गया है, बल्कि राजस्थातन, उत्तदराखंड, मध्यो प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु और असम आदि प्रदेशों से डॉक्टहरों अन्यि चिकित्सा कर्मियों को दिल्लीढ लाया जा रहा है, जांच केंद्रों की संख्याो बढ़ाई गई है, ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके। दिल्लीत सरकार ने कुछ रियायतों को रद्द कर दिया है, शादी समारोहों में शिरकत करने वाले लोगों की संख्यार फिर से घटा दी गई है और कंटेनमेंट जोन के बाजारों को बंद करने की अनुमति भी केंद्र से मांगी गई है। इसमें कोई दोराय नहीं कि सरकारों की तमाम अपीलों और विज्ञापनों के बावजूद नागरिक स्तकर पर उन्हें  अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाया है। दिवाली की देर रात तक पटाखों की गूंज बता रही थी कि अदालती आदेश, प्रशासनिक पाबंदी और राजनीतिक नेतृत्वा की गुजारिश के प्रति हम कितने कम संवेदनशील रह गए हैं। वह भी तब, जब देश अब तक एक लाख, 30 हजार से अधिक अपनी संतानों को खो चुका है। सुखद बात यह है कि जब दुनिया के कुछ देशों द्वारा प्रभावी टीके को लेकर सकारात्म दावे किए जा रहे हैं, तब हमारे देश में कोरोना संक्रमितों की रिकवरी दर 93 प्रतिशत से ऊपर गई है। कई प्रदेशों से इस संदर्भ में कुछ अच्छीत खबरें भी सुनने को मिली हैं। ऐसी ही एक खबर है, महाराष्ट्रद सरकार ने राज्यो के तमाम उपासना स्थ लों को खोल दिया है। पर दिल्ली  के ताजा हालात से पूरे देश को फौरन सबक लेने की जरूरत है। खासकर इसलिए कि हम अभी एक विकट मोड़ पर खड़े हैं, जिसका असर आगामी कई वर्षों को प्रभावित कर सकता है। हमारे बच्चे  नियमित स्कूखलों-कॉलेजों से दूर हैं, अर्थव्य वस्था  के मंदी की गिरफ्त में आने के संकेत रिजर्व बैंक दे ही चुका है, इसलिए पूरे आर्थिक चक्र को काफी सावधानी परिश्रम के साथ पटरी पर लाने की जरूरत है।  

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