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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Oct 28th 2020, 12:00 by


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नदियां मानव सभ्‍यता की जीवनधारा हैं, जो मानव जीवन के साथ-साथ समस्‍त जीव जंतुओं एवं पेड़ पौधों सहित समस्‍त सभ्‍यता को जीवन का आधार प्रदान करते हुए उन्‍हें गति प्रदान करती हैं। लेकिन आज यही नदियां अपने अस्तित्‍व के संकट से गुजर रही हैं। अगर यही हालात बने रहे तो वह दिन दूर नहीं जब नदियां सूख चुकी होंगी और उनका अस्तित्‍व ही नहीं बचेगा। इसलिए यहां यह प्रश्‍न उठता है कि जल की अगाध राशि से पूरित पृथ्‍वी की इन जीवन दायिनी नदियों की स्थिति ऐसी क्‍यों होती जा रही है। प्राकृतिक रूप से पर्याप्‍त जल प्राप्‍त होने के बाद भी इसमें जल का अभाव क्‍यों हो रहा है।
    जरा विचार करें तो नदियों की दयनीय दशा के कारण और समाधान हमारे समाज और व्‍यवस्‍था में भी मौजूद हैं। आज नदियां देश एवं समाज के अनियंत्रित विकास का शिकार हो गई हैं। जहां एक ओर उनका पानी अनियंत्रित और असीमित मात्रा में कृषि भूमि की सिंचाई और औद्योगिक विकास के नाम पर निकाला जा रहा है, वहीं दूसरी ओर उनके प्रवाह पथ को विकास के नाम पर अतिक्रमण कर बाधित किया जा रहा है। साथ ही, नदियों के भरण क्षेत्र में निरंतर खड़े हो रहे कंकरीट के जंगलों के कारण वृक्षों के असीमित कटान से भूगर्भ में जल संवर्धन का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। प्रवाह पथ बाधित हो जाने के कारण वे अपने साथ कंक्रीट के जंगलों के मलबे, मिट्टी, पेड़-पौधे आदि स्‍वयं लाती हैं जो उनके प्रवाह पथ में जमा होकर स्‍वयं भी जल प्रवाह की राह को बाधित करते हैं और गाद को जन्‍म देकर उनके जल प्रवाह क्षेत्र को उथला बनाते हैं। नदियों में आया यह संकट पूर्णतया मानव निर्मित है जिस पर अंकुश लगाकर नदियों को जीवनदान दिया जा सकता है।
    उत्‍तर प्रदेश की गंगा, यमुना, गोमती, घाघरा, केन, राप्‍ती सहित अनेक नदियों में पानी घट कर नाम मात्र का रह गया है। इन्‍हें देखकर लगता है कि अब ये नदियां अपने अस्तित्‍व के संकट से जूझ रही हैं। आज गंगा दुनिया की प्रदूषित नदियों में से एक है। गंगा को प्रदूषण मुक्‍त करने के लिए सरकारी स्‍तर पर लंबे समय से प्रयास चल रहे हैं। लेकिन आज की स्थिति में जरा फर्क नजर नहीं आया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने अध्‍ययन में कहा है कि देश भर के नौ सौ से अधिक शहरों और कस्‍बों का सत्‍तर फीसद गंदा पानी नदियों में बिना शोधन के ही छोड़ दिया जाता है।

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