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बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा न्‍यू बैच प्रारंभ मो. 8982805777

created Oct 28th 2020, 04:53 by SARITA WAXER


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बहुत पहले की बात है एक शिल्‍पकार मूर्ति बनाने के लिए जंगल में पत्‍थर ढूंढने गया। वहाँ उसको एक बहुत ही अच्‍छा पत्‍थर मिल गया। जिसको देखकर वह बहुत खुश हुआ और कहा यह मूर्ति बनाने के लिए बहुत ही सही है। जब वह रहा था तो उसको एक और पत्‍थर मिला उसने उस पत्‍थर को भी अपने साथ ले लिया। घर जाकर उसने पत्‍थर को उठा कर अपने औजारों से उस पर कारीगरी करनी शुरू कर दिया। औजारों की चोट जब पत्‍थर पर हुई तो वह पतथर बोलने लगा की मुझको छोड़ दो इससे मुझे बहुत दर्द हो रहा है। अगर तुम मुझ पर चोट करोगे तो मै बिखर कर अलग हो जाऊंगा। तुम किसी और पत्‍थर पर मूर्ति बना लो। पत्‍थर की बात सुनकर शिल्‍पकार को दया गयी। उसने पत्‍थर को छोड़ दिया और दूसरे पत्‍थर को लेकर मूर्ति बनाने लगा। वह पत्‍थर कुछ नहीं बोला। कुछ समय में शिल्‍पकार ने उस पत्‍थर से बहुत अच्‍छी भगवान की मूर्ति बना दी। गांव के लोग मूर्ति बनने के बाद उसको लेने आये। उनने सोचा की हमें नारियल फोड़ने के लिए एक और पत्‍थर की जरुरत होगी। उन्‍होंने वहां रखे पहले पत्‍थर को भी अपने साथ ले लिया। मूर्ति को ले जाकर उन्‍होंने मंदिर में सजा दिया और उसके सामने उसी पत्‍थर को रख दिया।
 
 

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