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साँई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Oct 26th 2020, 09:51 by lovelesh shrivatri


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पूरे देश में आज दशहरे की धूम है। हिंदू धर्म में इस त्‍योहार का विशेष महत्‍व है। नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा के दसवें दिन दशहरे का त्‍योहार मनाया जाता है। बुराई पर अच्‍छाई के प्रतीक दशहरे के त्‍योहार से जुड़ी अनेक कथाएं भी है। रामायण की कथा के अनुसार भगवान श्री राम ने आज ही के दिन रावण का वध किया था। इसी वजह से दशहरे को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। सत्‍य पर असत्‍य की जीत का प्रमाण दशहरे का त्‍योहार हमें हमारे भीतर की नकारात्‍मकता को भी खत्‍म करने का संदेश देता है। पूरे देश में दशहरे को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। जैसे पूर्व और उत्‍तर पूर्व में दुर्गा पूजा और विजयदशमी के नाम से मनाते है, उत्‍तरी दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में इस दशहरा नाम से जाना जाता है। पूरे देश में अलग-अलग नामों और स्‍वरूपों में मनाए जाने वाले दशहरे के पर्व की आत्‍मा एक समान रहती है, यानी अधर्म पर धर्म की जीत।  
दुर्गा पूजा या विजयदशमी में मां दुर्गा महिषासुर के वध का जश्‍न मनाया जाता है। जबकि दहशरे में भगवान राम द्वारा रावण के वध का उत्‍सव मनाया जाता है। रावण ने भगवान राम की पत्‍नी सीता का छल से हरण किया। अपनी पत्‍नी को बचाने और संसार से बुराई का नाश करने के लिए आज ही के दिन राम जी ने रावण का वध किया था। देश के बहुत से भागों में रामलीला का आयोजन होता है और अंतिम दिन यानी जिस दिन दशहरा होता है।  
देशभर में दशहरे को मनाने के ढंग अलग-अलग हो लेकिन सभी का मूल एक ही है- सत्‍य की जीत। अपने भीतर के तमस को उज्‍जवल करना और अधर्म पर धर्म की स्‍थापना। आध्‍यात्मिक रूप में दशहरा यही संदेश देता है कि हम अपने भीतर की नकारात्‍मकता को खत्‍म कर इस दिन से एक नई शुरूआत करें।  
 
 
 

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