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साँई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Oct 25th 2020, 10:25 by lucky shrivatri


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मनुष्‍य जो कुछ भी आगे बढ़ने का प्रयास या सफलता प्राप्‍त करने के लिए प्रयास करता है वह सब मन पर ही निर्भर करता है। मनुष्‍य में धैर्य और हिम्‍मत बनी रहती है। तब तक वह पराजित नहीं होता और आगे बढ़ने का प्रयास करता है। यदि मनुष्‍य का मन मर जाता है और हिम्‍मत टूट जाती है। जब तक मन नहीं हारता, जब तक शरीर कितना भी अशक्‍त हो जाए, तब तक शरीर भी नहीं हारता। मनुष्‍य की मन स्थिति उसकी इच्‍छा शक्ति पर निर्भर करती है। मनुष्‍य की इच्‍छा शक्ति जितनी बलवान होगी मन उतना ही दृढ़ संकल्पित होगा। यह सब मन पर ही निर्भर करता है। यदि मनुष्‍य का मन मर जाता है तो उसे चारो तरफ से निराशा घेर लेती है। जब उसकी हिम्‍मत बनी रहती है तो वह बड़े बड़े कार्य करने में नहीं घबराता। उदा. बचपन में बिनोवा गली में सब बच्‍चों के साथ खेल रहे थे। वहां बाते चलीं कि अपने पूर्वजों में कौन-कौन संत हो गये। प्रत्‍येक बालक ने अपने किसी किसी पूर्वज का नाम संत के रूप में बताया। अंत में बिनोवा जी की बारी आयी। बिनोवा जी ने तब तक कुछ नहीं कहा परंतु उन्‍होंने मन ही मन दृढ़ संकल्‍प करके जाहिर किया कि अगर मेरे पूर्वजों में कोई संत नहीं बना, तो मैं स्‍वयं संत बनकर दिखाऊँगा। इसी मन संकल्‍प कर उन्‍होंने प्रखर पुरूषार्थ शुरू कर दिया। और अंत में वह एक महान संत के रूप में प्रसिद्ध हुए।  

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