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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय✤|•༻

created Oct 23rd 2020, 06:27 by ddayal2004


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निर्वाचन आयोग ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव में खर्च की सीमा दस फीसद बढ़ा दी है। यह फैसला कोरोना संकट के चलते किया गया है, क्‍योंकि माना जा रहा है कि उम्‍मीदवारों को चुनाव प्रचार आदि में अधिक खर्च करने की जरूरत पड़ेगी। अब विधानसभा के उम्‍मीदवार अट्ठाईस के बजाय तीस लाख अस्‍सी हजार रुपए और लोकसभा के उम्‍मीदवार सत्‍तर की जगह सतत्‍तर लाख रुपए खर्च कर सकेंगे। यों भी बढ़ती महंगाई और चुनाव प्रचार में संसाधनों की आवश्‍यकता के मद्देनजर समय-समय पर चुनाव खर्च की सीमा बढ़ाई जाती रहती है। पिछली बार यह सीमा छह साल पहले बढ़ाई गई थी। निर्वाचन आयोग उम्‍मीदवार के चुनाव प्रचार आदि में आने वाले सभी तरह के खर्चों का आकलन करने के बाद ही खर्च की सीमा तय करता है। अगर कोई उम्‍मीदवार सही तरीके से चुनाव लड़ना चाहता है, तो उसके लिए यह खर्च सीमा पर्याप्‍त मानी जा सकती है। मगर बड़े दलों के नेता प्राय: इस नियम का उल्‍लंघन करते देखे जाते हैं। उनके खिलाफ विपक्षी दल शिकायत भी दर्ज कराते हैं, पर इस प्रवृत्ति पर रोक नहीं लग पाती। इसलिए कैसे तय चुनाव खर्च की सीमा का पालन सुनिश्चित हो, इस पर भी विचार जरूरी है। चुनाव खर्च में पारदर्शिता की जरूरत लंबे समय से महसूस की जाती रही है। निर्वाचन आयोग की सख्‍त निगरानी के बावजूद ज्‍यादातर उम्‍मीदवार तय सीमा से ऊपर खर्च करते देखे जाते हैं।

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