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बंसोड टायपिंग इन्स्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा न्यू बैच प्रारंभ मो. 8982805777
created Oct 15th 2020, 12:38 by SARITA WAXER
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एक समय की बात है, एक सारस और एक लोमड़ी में गहरी मित्रता थी। लोमड़ी बहुत चालाक थी पर सारस सीधा-साधा प्राणी था। एक दिन लोमड़ी ने सारस को भोजन के लिए आमंत्रित किया। सारस मित्र के घर आया। लोमड़ी ने सूप बनाया था। उसने एक छिछली तश्तरी में सूप परोसा। लोमड़ी ने अपनी जीभ से चाटकर सूप का भरपूर आनंद लिया पर सारस मात्र अपनी चोंच का अगला भाग ही गीला कर पाया। उसे भूखा ही वापस जाना पड़ा। लोमड़ी ने कहा, क्षमा करना, क्या तुम्हें सूप अच्छा नहीं लगा? सारस ने कहा, क्षमा मत मांगो, ऐसी कोई बात नहीं है। तुम कल मेरे घर भोजन पर आना। सारस ने लोमड़ी को सबक सिखाने की सोची। अगले दिन लोमड़ी सारस के घर खाना खाने गई। सारस ने भी ही सूप बनाया था। उसने एक लंबी सुराहीदार गर्दन वाले बर्तन में सूप परोसा। लोमड़ी का मुंह भीतर जा ही नहीं पाया और वह किसी भी प्रकार सूप नहीं चख पाई और भूखी रह गई। सारस ने आराम से सूप पिया। लोमड़ी को अपने किए का फल मिल गया था।
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