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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Oct 9th 2020, 05:51 by rajni shrivatri
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एक गांव में दो मित्र नकुल और सोहन रहते थे। नकुल बहुत धार्मिक था और भगवान को बहुत मानता था। जबकि सोहन बहुत मेहनती था। एक बार दोनों ने मिलकर एक बीघा जमीन खरीदी। जिससे वह बहुत फसल ऊगा कर अपना घर बनाना चाहते थे। सोहन तो खेत में बहुत मेहनत करता लेकिन नकुल कुछ काम नहीं करता बल्कि मंदिर में जाकर भगवान से अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करता। इसी तरह समय बीतता गया। कुछ समय बाद खेत की फसल पक कर तैयार हो गयी। जिसको दोनों ने बाजार ले जाकर बेच दिया और उनको अच्छा पैसा मिला। घर आकर सोहन ने नकुल को कहा की इस धन का ज्यादा हिस्सा मुझे मिलेगा क्योंकि मैंने खेत में ज्यादा मेहनत की है। यह बात सुनकर नकुल बोला नहीं धन का तुमसे ज्यादा किस्सा मुझे मिलना चाहिए क्योंकि मैंने भगवान से इसकी प्रार्थना की तभी हमको अच्छी फसल हुई। भगवान के बिना कुछ संभव नहीं है। धन के बॅटवारे को लेकर दोनों गांव के मुखिया के पास पहुंचे।
मुखिया ने दोनों की सारी बात सुनकर उन दोनों को एक-एक बोरा चावल का दिया जिसमें कंकड मिले हुए थे। मुखिया ने कहा की कल सुबह तुम दोनों को इसमें से चावल और कंकड़ अलग करके लाने है तब में निर्णय करूंगा की इस धन का ज्यादा हिस्सा किसको मिलना चाहिए। दोनों चावल की बोरी लेकर अपने घर चले गए। सोहन ने रात भर जागकर चावल और कंकड को अलग किया। नकुल चावल की बोरी को लेकर मंदिर में गया और भगवान से इसके लिए प्रार्थना की।
अगले दिन सुबह सोहन जितने चावल और कंकड अलग कर सका उसको ले जाकर मुखिया के पास गया। जिसे देखकर मुखिया खुश हुए। नकुल वैसी की वैसी बोरी को ले जाकर मुखिया के पास गया। मुखिया ने नकुल को कहा कि दिखाओं तुमने चावल साफ किये है। नकुल ने कहा की मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है चावल साफ हो गए होंगे। जब बोरी को खोला गया तो चावल और कंकड वैसे के वैसे ही थे। जमींदार ने नकुल को कहा की भगवान भी तभी सहायता करते है जब तुम मेहनत करते हो। इसके बाद नकुल भी सोहन की तरह खेत में मेहनत करने लगा और अबकी बार उनकी फसल पहले से भी अच्छी हुई।
शिक्षा- इससे यह सीख मिलती है की हमें कभी भी भगवान के भरोसे नहीं बैठना चाहिए। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।
मुखिया ने दोनों की सारी बात सुनकर उन दोनों को एक-एक बोरा चावल का दिया जिसमें कंकड मिले हुए थे। मुखिया ने कहा की कल सुबह तुम दोनों को इसमें से चावल और कंकड़ अलग करके लाने है तब में निर्णय करूंगा की इस धन का ज्यादा हिस्सा किसको मिलना चाहिए। दोनों चावल की बोरी लेकर अपने घर चले गए। सोहन ने रात भर जागकर चावल और कंकड को अलग किया। नकुल चावल की बोरी को लेकर मंदिर में गया और भगवान से इसके लिए प्रार्थना की।
अगले दिन सुबह सोहन जितने चावल और कंकड अलग कर सका उसको ले जाकर मुखिया के पास गया। जिसे देखकर मुखिया खुश हुए। नकुल वैसी की वैसी बोरी को ले जाकर मुखिया के पास गया। मुखिया ने नकुल को कहा कि दिखाओं तुमने चावल साफ किये है। नकुल ने कहा की मुझे भगवान पर पूरा भरोसा है चावल साफ हो गए होंगे। जब बोरी को खोला गया तो चावल और कंकड वैसे के वैसे ही थे। जमींदार ने नकुल को कहा की भगवान भी तभी सहायता करते है जब तुम मेहनत करते हो। इसके बाद नकुल भी सोहन की तरह खेत में मेहनत करने लगा और अबकी बार उनकी फसल पहले से भी अच्छी हुई।
शिक्षा- इससे यह सीख मिलती है की हमें कभी भी भगवान के भरोसे नहीं बैठना चाहिए। हमें सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत करनी चाहिए।
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