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साँई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Jul 5th 2020, 11:07 by sandhya shrivatri
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हिंदू धर्म में गुरू दक्षिणा का महत्व बहुत अधिक माना गया है। गुरूकुल में शिक्षा ग्रहण करने के बाद जब अंत में शिष्य अपने घर जाता है तब उसे गुरू दक्षिणा देनी होती है। गुरू दक्षिणा का अर्थ कोई धन-दौलत से नहीं है। यह गुरू के ऊपर निर्भर है कि वह अपने शिष्य से किस प्रकार की गुरू दक्षिणा की मांग करे।
गुरू अपने शिष्य की परीक्षा के रूप में भी कई बार गुरू दक्षिणा मांग लेता है। कई बार गुरू दक्षिणा में शिष्य ने गुरू को वही दिया जो गुरू ने चाहा। गुरू के आदेश का पालन करना शिष्य के जीवन का परम कर्तव्य बन जाता है, और कई बार तो यह जीवन-मरण का प्रश्न भी बना है। गुरू दक्षिणा गुरू के प्रति सम्मान व समर्पण भाव है। गुरू के प्रति सही दक्षिणा यही है कि गुरू अब चाहता है कि तुम खुद गुरू बनो। मूलत: गुरू दक्षिणा का अर्थ शिष्य की परीक्षा के संदर्भ में भी लिया जाता है। गुरू दक्षिणा उस वक्त दी जाती है या गुरू उस वक्त दक्षिणा लेता है जब शिष्य में संपूर्णता आ जाती है। अर्थात् जब शिष्य गुरू होने लायक स्थिति में होता है। गुरू के पास समग्र ज्ञान जब शिष्य ग्रहण कर लेता है और जब गुरू के पास कुछ भी देने के लिए शेष नहीं रह जाता तब गुरू दक्षिणा सार्थक होती है।
गुरू अपने शिष्य की परीक्षा के रूप में भी कई बार गुरू दक्षिणा मांग लेता है। कई बार गुरू दक्षिणा में शिष्य ने गुरू को वही दिया जो गुरू ने चाहा। गुरू के आदेश का पालन करना शिष्य के जीवन का परम कर्तव्य बन जाता है, और कई बार तो यह जीवन-मरण का प्रश्न भी बना है। गुरू दक्षिणा गुरू के प्रति सम्मान व समर्पण भाव है। गुरू के प्रति सही दक्षिणा यही है कि गुरू अब चाहता है कि तुम खुद गुरू बनो। मूलत: गुरू दक्षिणा का अर्थ शिष्य की परीक्षा के संदर्भ में भी लिया जाता है। गुरू दक्षिणा उस वक्त दी जाती है या गुरू उस वक्त दक्षिणा लेता है जब शिष्य में संपूर्णता आ जाती है। अर्थात् जब शिष्य गुरू होने लायक स्थिति में होता है। गुरू के पास समग्र ज्ञान जब शिष्य ग्रहण कर लेता है और जब गुरू के पास कुछ भी देने के लिए शेष नहीं रह जाता तब गुरू दक्षिणा सार्थक होती है।
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