Text Practice Mode
सॉंई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Jan 27th 2020, 12:37 by Jyotishrivatri
1
222 words
12 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
एक दिन सुबह-सुबह मियां शेख चिल्ली बाजार पहुंच गए। बाजार से उन्होने अंडे खरीदे और उन अंडों को एक टोकरी में भर कर अपने सिर पर रख लिया, फिर वह घर की ओर जाने लगे। घर जाते-जाते उन्हें ख्याल आया कि अगर इन अंडों से बच्चे निकले तो मेरे पास ढेर सारी मुर्गियां होगी। वह सब मुर्गियां ढेर सारे अंडे देगी। उन अंडों को बाजार में बैच कर मै धनवान बन जाऊंगा। अमीर बन जाने के बाद मैं एक नौकर रखूंगा जो मेरे लिए शॉपिग कर लाएगा। उसके बाद में अपने लिए एक महल जैसा आलीशान घर बनवाऊंगा। उस बड़े से घर में हर प्रकार की भव्य सुख-सुविधा होंगी।
भोजन करने के लिए आराम करने के लिए और बैठने के लिए उसमें अलग-अलग कमरे होंगे। घर सजा लेने के बाद मैं एक गुणवान, रूपवान और धनवान लड़की से शादी करूंगा। अपनी पत्नी के लिए भी एक नौकर रखूंगा और उसके लिए अच्छे-अच्छे कपड़े, गहने वगैरह खरीदूगां।
मियां शेख चिल्ली अपने ख्यालों में लहराते सोचते चले जा रहे थे तभी उनके पैर पर ठोकर लगी ओर सिर पर रखी हुई अंडों की टाेकरी धडाम से जमीन पर आ गिरी। अंडों की टोकरी जमीन पर गिरते ही सारे अंडे फूट कर बरबाद हो गए। अंडों के फूटने के साथ-साथ मिंया शेख चिल्ली के ख्याली पुलाव जैसे सपनें भी टूट कर चूर-चूर हो गए।
भोजन करने के लिए आराम करने के लिए और बैठने के लिए उसमें अलग-अलग कमरे होंगे। घर सजा लेने के बाद मैं एक गुणवान, रूपवान और धनवान लड़की से शादी करूंगा। अपनी पत्नी के लिए भी एक नौकर रखूंगा और उसके लिए अच्छे-अच्छे कपड़े, गहने वगैरह खरीदूगां।
मियां शेख चिल्ली अपने ख्यालों में लहराते सोचते चले जा रहे थे तभी उनके पैर पर ठोकर लगी ओर सिर पर रखी हुई अंडों की टाेकरी धडाम से जमीन पर आ गिरी। अंडों की टोकरी जमीन पर गिरते ही सारे अंडे फूट कर बरबाद हो गए। अंडों के फूटने के साथ-साथ मिंया शेख चिल्ली के ख्याली पुलाव जैसे सपनें भी टूट कर चूर-चूर हो गए।
saving score / loading statistics ...