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created Jan 27th 2020, 12:21 by vikesh gadre
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आधुनिक भारत का इतिहास स्पष्टतः दो भागों में बँटा है। 1857 का सैनिक विद्रोह अपने पीछे जिस पृष्ठभूमि को रखे हुए है वही पुस्तक के पहले भाग की विषय-वस्तु है। इसका आरम्भ डच, पुर्तगाली, अंग्रेजी, फ्रांसीसी-इन सभी विदेशियों के भारत-आगमन से होता है। यह बात शुरू में ही साफ हो गई थी कि सफलता अंग्रेजों के हाथ लगेगी और उसके कारण स्पष्ट थे। वे राष्ट्रवाद में विश्वास रखते थे जबकि भारत में न यह भावना थी और न अनुशासन। युद्ध-कौशल तथा रणनीति में अंग्रेज भारतीयों की अपेक्षा कहीं आगे थे। भारतीय सैनिक अपने राजाओं के प्रति निष्ठावान नहीं थे। इन्हीं सब बातों से भारतीयों का अपनी भूमि पर ही पतन हुआ। उधर अंग्रेजों के सामने नैतिकता जैसी कोई चीज नहीं थी। बंगाल, अवध, मैसूर महाराष्ट्र, पंजाब और सिंध इन सभी का विलय अंग्रेजी साम्राज्य में हो गया। जो भी अंग्रेज शासक आये चाहे वह वारेन हेस्टिंग्स हो या लार्ड कार्नवालिस, लार्ड वैलेजली हो या लार्ड हेस्टिंग्स लार्ड विलियम बैंटिंक हो या लार्ड डलहौजी सभी ने शासकीय सुधारों पर बल दिया।
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