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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤CPCT_Admission_Open✤|•༻

created Jan 27th 2020, 07:41 by my home


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कुछ लोग कहते हैं कि सबसे पहले लोगों ने बुंदेलखण्‍ड में रहना शुरू किया था। यही वजह है कि इस इलाके के हर गांव और शहर के पास सुनाने को कोई कहानियां हैं। बुंदेलखंड की दो खूबसूरत दिलचस्‍प जगहें हैं ओरछा और दतिया। भले ही दोनों जगहों में कुछ किलोमीटर का फासला हो, लेकिन इतिहास के धागों से ये दोनों जगहें बेहद मजबूती से जुड़ी हैं।
    इसका इतिहास 15वीं शताब्‍दी से शुरू होता है, जब इसकी स्‍थापना रूद्र प्रताप सिंह जू बुन्‍देला ने की थी सिकन्‍दर लोदी से भी लड़ा था इस जगह की पहली और सबसे रोचक कहानी एक मंदिर की है। दरअसल, यह मंदिर भगवान राम की मूर्ति के लिए बनवाया गया था, लेकिन मूर्ति स्‍थापना के वक्‍त यह अपने स्‍थान से हिली नहीं। इस मूर्ति को मधुकर शाह बुंदेला के राज्‍यकाल के दौरान उनकी रानी कुंवर गनेश अयोध्‍या से लाई थीं। रानी गनेश कुंवर वर्तमान ग्‍वालियर जिले के करहिया गांव की परमार राजपूत थीं। चतुर्भुज मंदिर बनने से पहले रानी पुख्‍य नक्षत्र में अयोध्‍या से पैदल चलकर बाल स्‍वरूप भगवान राम को ओरछा लाई परंतु रात्रि हो जाने के कारण भगवान राम को कुछ समय के लिए महल के भोजन कक्ष में स्‍थापित किया गया। लेकिन मंदिर बनने के बाद कोई भी मूर्ति उसके स्‍थान से हिला नहीं पाया। इसे ईश्‍वर का चमत्‍कार मानते हुए महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम रखा गया राम राजा मंदिर। आज इस महल के चारों ओर शहर बसा है और राम नवमी पर यहां हजारों श्रद्धालु इकट्ठा होते हैं। वैसे, भगवान राम को यहां भगवान मानने के साथ यहां का राजा भी माना जाता है, क्‍योंकि उस मूर्ति का चेहरा मंदिर की ओर होकर महल की ओर है। आज भी भगवान राम को राजा के रूप में ओरछा के इस मंदिर में पूजा जाता है और उन्‍हें गार्डों की सलामी देते हैं। मंदिर में चमड़े से बनी वस्‍तुओं का प्रवेश निषेध है।

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