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बंसोड टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा, छिन्‍दवाड़ा मो.न.8982805777 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रांरभ (संचालक-सचिन बंसोड)

created Sep 19th 2019, 01:01 by sachinbansod1609336


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भारत में बेकारी की समस्‍या का मूल कारण है दोषपूर्ण शिक्षा है। आज की शिक्षा पद्धति नवयुवकों को इस योग्‍य बनाने में असमर्थ है कि वे कोई व्‍यवसाय कर सकें। फलस्‍वरूप कालेज, यूनविर्सटी से निकलकर युवक नौकरी की तलाश में फिरने लगते है। आज की शिक्षा भारतीय जीवन से इतनी दूर है कि पुस्‍तकों में जो कुछ लिखा है, अथवा छात्रों ने जो पढ़ा है, वह दैनिक जीवन के लिए सर्वथा अनुपयोगी होता है। शिक्षा का एक बड़ा भारी दोष यह है कि इसमें व्‍यावसायिक शिक्षा को कोई स्‍थान प्राप्‍त नहीं है। गांधीजी ने कहा था कि व्‍यावसायिक शिक्षा के अभाव ने शिक्षित वर्ग को उपयोगी कार्य के अयोग्‍य बना दिया है। इससे उनके शरीर पर भी दुष्‍प्रभाव पडा है।  
    भारत में यह समस्‍या कितनी विकराल है इसका अनुमान करना कठिन है। संयुक्‍त परिवार प्रथा के कारण यह समस्‍या अभी दबी हुई है। कृषि परिवारों में अप्रत्‍यक्ष बेकारी देखी जा सकती है। परिवार के पास भूमि तो सीमित रहती है लेकिन परिवार के सदस्‍यों की संख्‍या बढती जाती है। परिणाम यह होता है कि भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ो पर अनेक लोग आश्रित होते है। अन्‍रूत्र धन्‍धा मिलने के कारण अपना सारा श्रम उसी पर नष्‍ट करते है। फलत: श्रम के अनुपात से आय बहुत कम होती है। हमारी कृषि प्रणाली भी प्राकृतिक स्थितियों पर निर्भर है। इससे किसान वर्ष का पर्याप्‍त भाग बेकार रहते है जहां सिंचाई के साधन उपलब्‍ध है वहां तो किसान आठ, दस महीने काम करता है, शेष स्‍थानों पर 6 माह बेकार रहता है।  
 

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