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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Exam_August_Bhanu

created Jul 25th 2019, 07:21 by BhanuPratapSen


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जल हमारे शरीर और जीवन की बुनियादी आवश्‍यकता है। जल को सभी जीवित प्राणियों के लिए एक महत्‍वपूर्ण तत्‍व के रूप में भी जाना जाता है और इस वजह से इसे जीवन के रूप में भी नामांकित किया गया है। इस धरती पर जल के बिना जीवन की कल्‍पना भी नहीं की जा सकती। धरती के तीन-चौथाई हिस्‍से में जल है किंतु इसमें से सिर्फ 2 प्रतिशत ही हमारे लिए उपयोगी है। भारत में कुछ स्‍थानों पर लोग जल की कमी और सूखे के हालात का सामना करते हैं, जबकि अन्‍य स्‍थानों पर प्रचुर मात्रा में जल उपलब्‍ध है। इसलिए जो लोग ऐसे स्‍थानों पर रह रहे है जहां अत्‍यधिक जल उपलब्‍ध है, उन्‍हें जल का महत्‍व एवं संरक्षण के महत्‍व का एहसास होना चाहिए। हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब हमें स्‍वच्‍छ जल एवं हमारे जरूरत के हिसाब से खर्च करने की आवश्‍यकता है। भारत एवं अन्‍य देशों के कई स्‍थानों में लोग जल की अत्‍यधिक कमी से जूझ रहे है। वे सरकार द्वारा टैंकों से की जा रही जल की आपूर्ति या लंबी दूरी पर स्थित कुछ प्राकृतिक जलाशयों पर निर्भर रहते हैं। वे पीने के जल की व्‍यवस्‍था करने के लिए लंबी दूरी तय करते हैं। जल की कमी की स्थिति उन लोगों के लिए और भी दयनीय है जिनके पास अपना दैनिक जरूरतों जैसे पीने, नहाने-धोने इत्‍यादि कार्यों के लिए भी पर्याप्‍त मात्रा में जल उपलब्‍ध नहीं है। भारत दुनिया भर के उन देशों में से एक है जो आज जल की कमी की विकराल समस्‍या का सामना कर रहे है। भारत में राजस्‍थान एवं गुजरात के कुछ हिस्‍से तो  ऐसे है जहां घरों की महिलायें सिर्फ बर्तन भर जल के लिए नंगे पैर लंबी दूरी तय करती हैं। बैंगलुरू जैसे कुछ शहरों में लोग स्‍वच्‍छ जल की एक बोतल खरीदने के लिए 25 रू. से 30 रुपए तक चुकाते हैं। हाल ही में किए गए एक अध्‍ययन के अनुसार 25 प्रतिशत शहरी आबादी को स्‍वच्‍छ जल उपलब्‍ध नहीं है। गर्मियों के महीनों में जल की दैनिक आवश्‍यकता अध्‍ािक हो जाने का वजह से लोग और भी अधिक समस्‍या का सामना करते है। कुछ क्षेत्रों में जल निकायों का निजीकरण जल की कमी का मुख्‍य कारण है। जल की कमी की समस्‍या से निपटने के लिए हम विभिन्‍न तीरकों का इस्‍तेमाल कर सकते है। वर्षा जल संग्रहण जब संरक्षण की विभिन्‍न तकनीकों में से सबसे प्रभावी एवं उपयुक्‍त विधि है। वनरोपण भी सतही अपवाह कम कर देता है एवं भूजल को रिचार्ज करता, भूमिगत जल संरक्षण को बढ़ावा देता है।

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