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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH-(MP):-
created Mar 7th 2019, 04:19 by Sonu Ahirwar
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टीवी की स्क्रीन उछल रही थी और मेरा मन डूब रहा था। बहस चल रही थी कि बालाकोट में एयरफोर्स की मिसाइल से कितने आतंकी मरे? विपक्षी नेता सवाल पूछ रहे थे। सरकार ने अपने बचाव में वायु सेना के एयर मार्शल को खड़ा कर रखा था। 'तुम दुखी क्यों हो?' मेरा चेहरा पढ़ते हुए मेरे दोस्त ने पूछा। मैंने कहा कि मैं दुखी इसलिए हूँ कि यह बहस होनी नहीं चाहिए, इस वक्त नहीं होनी चाहिए। कम से कम फौजियों को इसमें घसीटा नहीं जाना चाहिए। अभी सारी बातें न तो एयर फोर्स को पता होंगी और जो पता भी होंगी वे सार्वजनिक नहीं की जा सकतीं। किसी संवेदनशील सूचना को सार्वजनिक करने से न जाने किस स्रोत की जान चली जाए, न जाने राष्ट्रीय सुरक्षा को कितना नुकसान हो जाए। इस खतरे को समझे बिना टीवी पर ऐसी बहस देखकर मुझे दुख हो रहा था। बिल्कुल! मैंने तो पहले ही कहा था मित्र ने मेरी बात आगे बढ़ाते हुए अपनी बात भी जोड़ी। इन विपक्षी नेताओं को कौन समझाए कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर तो कम से कम जुबान संभालकर बात करें। सरकार पर भरोसा हो न हो कम से कम सुरक्षाबलों पर तो भरोसा करें। ऐसी नाजुक घड़ी में राजनीति करना विपक्ष को शोभा नहीं देता। ताली एक हाथ से नहीं बजती भाई मैंने अपनी असहमति दर्ज की। राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर सबसे पहले किसकी जुबान फिसली? विपक्षियों की या खुद सत्ताधारी बीजेपी की? बालाकोट में 250 से 300 आतंकी मारे गए यह क्या दावा खुद अमित शाह ने नहीं किया? आतंकी हमले में शहीद जवानों के फोटो परदे पर लगाकर चुनावी भाषण खुद प्रधानमंत्री ने नहीं दिया? बीजेपी के साक्षी महाराज ने शहीदों की अंतिम यात्रा को चुनावी रोड शो में नहीं बदल दिया? क्या बीजेपी नेता येदियुरप्पा ने दावा नहीं किया की एयर स्ट्राइक से अब कर्नाटक में बीजेपी की 22 सीट पक्की हो गई? बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने सैनिकों की वर्दी की फूहड़ नकल करते हुए चुनाव प्रचार की शुरुआत नहीं की? अब मेरे दोस्त ने पलटवार किया, अरे भाई, मोदीजी ने काम किया है तो श्रेय लेने में क्या बुराई है? अगर नेता अपने काम का प्रचार नहीं करेगा तो राजनीति कैसे करेगा? मैंने कहा मोदी जी की तरह आप भी दो बातें कह रहे हैं।
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