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होटलो के अग्निकवच (मंगल फॉट)
created Aug 21st 2018, 07:12 by arpanshukla
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लखनऊ मे मंगलवार को तड़के अत्यंत अमंगलकारी घटना हुई। यहां पर दो हटल आग से धधक उठे, छह लोग इसमें जिंदा जल गए और कई झुलस कर अस्पताल में इलाज कराने को मजूबर हैं। अभी तक की पड़ताल के मुताबिक बेसमेंट में शार्ट सर्किट से आग लगी। शराब की बोतलों से हुते हुए आग ने होटल के गोदाम में रखे गद्दो, चादरों को चपेट मे ले लिआ। कुछ ही देर में आग दूसरे होटल तक पहुंच गई। सुबह चार-पाच बजे का समय होटल में ठहरे मुसाफिरों के लिए गहरी नींद का वक्त था। इतनी भयावह घटना प्रदेश की राजधानी में हुई, जहां फायर ब्रिगेड की सुविधाएं सबसे अच्छी मानी जाती हैं। अगर यह हादसा किसी अन्य शहर में होता तो इसकी भयावहता कुछ और ही होती। अब से ठीक तीन साल पहले इसी दिन प्रतापगढ़ में एसे ही एक होटल में आग लगी और वहां दल लोगों की जान चली गई। अब तो लगभग सभी वातानुकूलित होटलों में अग्नि सुरक्षा के तमाम यंत्रों का दावा किया जाता है।
अगर शॉर्ट सर्किट से सक्रिय हो जाने वाले एम-सी-वी जैसे किसी बिजली के उपकरण की दशा सही होती तो आग-आगे नहीं बढ़ती। इसके बाद भी स्मॉक डिटेक्टर यंत्र कार्य कर रहा होता तो फायर अलार्म बज जाता। होटल का स्टाफ जाग जाता और आग बुझने का काम शुरू हो जाता। जब लपटें बाहर आने लगीं, राहगीरों को आग दिखाई दी, तब भी फायर इंस्ठिग्युशर काम कर रहे होते तो तेजी से आग बुझाई जा सकती थी। मगर ऐसा भी नहीं हुआ। यानी दोनो होटलों में कोई भी अग्निकवच काम नहीं कर रहा था। अग्निशमन विभाग हर साल एक पखवाड़ा मनाता है। होटल का नक्शा तभी पास होता है कि जब आग बुझाने के पूरे इंतजाम किए गए हों और अग्निशमन विभाग की एनओसी हासिल हो गई हो। स्पष्ट है कि न तो विभाग ने सही काम किया और न ही होटल मालिकों को अपने ग्राहको की सुरक्षा से कोई लेना देना था। वास्तुतः इसे समूचे तंत्र को जब तक चुस्त दुरस्त नहीं किया जाएगा तब तक इस प्रकार के हादसों की आशंका बनी रहेगी।
अगर शॉर्ट सर्किट से सक्रिय हो जाने वाले एम-सी-वी जैसे किसी बिजली के उपकरण की दशा सही होती तो आग-आगे नहीं बढ़ती। इसके बाद भी स्मॉक डिटेक्टर यंत्र कार्य कर रहा होता तो फायर अलार्म बज जाता। होटल का स्टाफ जाग जाता और आग बुझने का काम शुरू हो जाता। जब लपटें बाहर आने लगीं, राहगीरों को आग दिखाई दी, तब भी फायर इंस्ठिग्युशर काम कर रहे होते तो तेजी से आग बुझाई जा सकती थी। मगर ऐसा भी नहीं हुआ। यानी दोनो होटलों में कोई भी अग्निकवच काम नहीं कर रहा था। अग्निशमन विभाग हर साल एक पखवाड़ा मनाता है। होटल का नक्शा तभी पास होता है कि जब आग बुझाने के पूरे इंतजाम किए गए हों और अग्निशमन विभाग की एनओसी हासिल हो गई हो। स्पष्ट है कि न तो विभाग ने सही काम किया और न ही होटल मालिकों को अपने ग्राहको की सुरक्षा से कोई लेना देना था। वास्तुतः इसे समूचे तंत्र को जब तक चुस्त दुरस्त नहीं किया जाएगा तब तक इस प्रकार के हादसों की आशंका बनी रहेगी।
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