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CPCT 15 जनवरी 2017 Shift - 2 Hindi Typing Test (Type this mater in 15 minutes)
created Feb 2nd 2018, 13:36 by deep singh
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8 नवम्बर 2016 को भारत में कुछ ऐसा हुआ जिससे पूरे देश में हलचल मच गई। रात आठ बजे भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक ही राष्ट्र को संबोधित किया और 500 एवं 1000 रूपये के नोटों को खत्म करने का ऐलान सुनाया। इसका लक्ष्य केवल काले धन पर नियंत्रण ही नहीं बल्कि जाली नोटों से छुटकारा पाना भी था। यह योजना करीब छह महीने पहले बननी शुरू हुई थी। सरकार के इस फैसले की जानकारी केवल कुछ लोगों को ही थी जिनमें मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्रा, पूर्व और वर्तमान आरबीआई गवर्नर, वित्त सचिव अलोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री अरूण जेटली शामिल थे। योजना को लागू करने की प्रक्रिया दो महीने पहले शुरू हुई थी। इससे पहले भी, इसी तरह के उपायों को भारत में लागू किया गया था। जनवरी 1946 में, 1000 और 10,000 रूपए के नोटों को वापस ले लिया गया था और 1000, 5000 एवं 10,000 रूपए के नए नोटों को 1954 में फिर से शुरू कर दिया गया था। इसके बाद भी कई फैसले लिए गये ताकि काले धन पर अंकुश लगाया जा सके। दरअसल कई लोग जाली नकदी को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल कर रहे थे जिसके परिणाम स्वरूप नोटों को खत्म करने का निर्णय लिया गया था। अतीत में, भाजपा ने नोटबंधी का जोरदार विरोध किया था और भाजपा प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने यह भी कहा कि वह लोग जो अनपढ़ हैं और बैंकिंग सुविधाओं का लाभ नहीं उठा सकते, ऐसे लोगों के लिए इस तरह के उपाय फलदायी नहीं होंगे। मुख्य रूप से कुछ समय के अंतराल में स्वयं जनता 2000 के नोट को चलन से बाहर कर देगी, क्योंकि कम दाम की वस्तु खरीदते समय कोई भी दुकानदार आपसे 2000 के नोट नहीं लेगा। इसके चलते काले धन में बढ़ोत्तरी ही होगी। सरकार को इस विषय पर शुरू से ही सचेत रहने की आवश्यकता है। इस नोटबंधी का असर कुछ ऐसा देखा गया कि अनेक बाजारों में दुकानों को छोपे के डर की वजह से बंद कर दिया गया। हवाला करने वाले भी इधर-उधर फिरने लगे और सोचने लगे कि इस तरह की भारी नकदी के साथ क्या करना चाहिए। देश के कई राज्यों में आयकर विभाग ने छापे मारे जिसमें दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ और लुधियाना शामिल थे। किन्तु इससे बहुत से लोगों की उम्मीदें भी बंधी हैं। माना जा रहा है कि रीयल एस्टेट यानी मकान एवं जमीन आदि के दाम कम होंगे, बैंको की ब्याज दर भी कम होगी।
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