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created Jan 16th 2018, 14:01 by DealsaddaSolutions
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दम है तो पूरी पढ़ के बताओ।
वह मेरे दिल में हमेशा रहेंगे याद बनकर
सलाम …. मैं नाज़ हूँ मैं अपनी कहानी बस इसलिए लिख रही हूँ क्यूंकि आज तक मुझे समझ नहीं आई की मेरी जिंदगी में जो कुछ भी हुआ उसकी वजह क्या थी?
बात तब की है जब में 8th क्लास पास आउट करके 9th में गयी थी. मैं अपने घर में सबसे बड़ी बच्ची हूँ. सबकी लाड़ली भी हूँ पापा का बिज़नेस अच्छा नहीं चलने की वजह से हम डेल्ही में कहीं और शिफ्ट हो गए जगह नई थी लोग भी नए थे मैं बहुत ही शाय थी ज्यादा बोलना मेरी आदत नहीं थी उम्र के हिसाब से समझदारी ज्यादा थी. मैंने भी नई स्कूल ज्वाइन किया. जहां मुझे 2 फ्रेंड्स मिली शमा & पूजा …वक्त के साथ हमारी दोस्ती गहरी होती गई मुझे उन दोनों से कुछ ज्यादा ही प्यार हो चूका था खासकर शमा से उसकी नाराजगी मुझे परेशान कर देती थी मैं कुछ भी करके उसे मना लेती थी कभी दस मिनट से ज्यादा मैं उसे नाराज नहीं रहने देती थी और पूजा वह बहुत शांत थी कभी नाराज नहीं होती थी हम तीनों एक ही कॉलोनी में रहते थे शमा और मेरा घर पास था हम तीनों ने वहीं एक कोचिंग सेंटर ज्वाइन करा हुआ था जहाँ हमारे टीचर जो थे वह भी मुस्लिम थे. वहीं उनका छोटा भाई आता था उनसे पढ़ने हमसे 2 yr सीनियर
तब हम 9th में थे तीनों वहीं पढ़ते थे तब हम उस लड़के का बहुत मजाक बनाते थे पर यह बात उसे नहीं पता थी वह तब था ही ऐसा पतला सा और सिंपल सा जब वह बच्चों को पढता तो हमे बहुत हंसी आती थी पर वह मुझे अच्छा लगता था पता नहीं क्यों हम उससे बात नहीं करते थे तब फिर भी अच्छा लगता था उसे चुपके देखना उसकी मुस्कराहट से चहरे पे हंसी आती थी पर जानती नहीं थी क्यों धीरे धीरे वक़्त गुजरा और हम 11th क्लास में आ गए अब वह कभी कभी सर की जगह आता था हमारी क्लास लेने धीरे धीरे हम उससे बातें करने लगे थे तब पूजा ने कोचिंग छोड़ दी थी बस शमा और मैं ही आते थे वक़्त के साथ शमा और मेरा प्यार भी बहुत बढ़ गया था हम बेस्टेस्ट फ्रेंड थे हम एक दुसरे से कभी कुछ नहीं छुपाते थे उस लड़के का नाम था फैज़ हम अच्छे दोस्त बन चुके थे मेरे दिल में उसकी जगह बहुत खास थी पर क्या ये पता नहीं था मेरी जिंदगी में पहला लड़का था जो मेरा फ्रेंड था धीरे धीरे वक़्त निकला शमा मैं और फैज़ अच्छे दोस्त बन गए वह हमारी हर प्रॉब्लम सुनता अपनी प्रॉब्लम शेयर करता 11th के एग्जाम के बाद मुझे गाँव जाना पड़ा मैंने कोचिंग से भी छुट्टी लेली
जब मैं गाँव गयी तो अजीब सी हालत हो गयी मेरी दिन दिन भर अकेली बैठी रहती थी बस फैज़ की बातें और वह वक़्त याद आते थे जब हम साथ थे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह सब क्यों हो रहा है मैं परेशान थी सोचती रहती थी कब वापिस जाकर अपनी परेशानी शमा से बताऊँ. मुझे यकीं था की वह समजह जाएगी मुझे शक था की कही मुझे फैज़ से प्यार तो नहीं हो गया पर सोचती थी नहीं वह तो मुझे कितने सालो से अच्छा लगता है और अगर यह प्यार है भी तो मुझे पता होना चाहिए न. 22 दिनों के बाद हम डेल्ही आ गए मैं रात को 2 बजे घर पहुंची और इंतजार करने लगी की कभ सुबह हो और मैं शमा को ये बात बताऊँ और सबसे ज्यादा इंतजार था फैज़ को देखने का सुब्हे हुई और 6 बजते ही मेने शमा को बुलवाया मैं किचन में थी वह मुझे देखकर बहुत खुश थी और मैं भाई मैंने उससे पूछा की सभ कैसे है पूजा किसी है ? और फैज़ भी उसने मुझे बताया की उसे मुझसे कुछ कहना है वह कबसे मेरा इंतजार कर रही थी इसके लिए मैंने पुछा की बता मुझे भी कुछ बताना है तुझे फिर तो उसने मुझसे वह कहा जो सुनकर मैं भूल गयी की क्या रियेक्ट करना है मुझे मैं सुन्न हो गयी थी पता नहीं क्यों
शमा ने मुझे बताया की वह फैज़ को लाइक करने लगी है और शायद वह भी उसे करता है मैंने पुछा की तू बस लाइक करती है या कुछ ज्यादा तो उसने कहा लाइक से ज्यादा उसने कहा मुझे उसके साथ रहना अच्छा लगता है यहाँ तक की अगर वह किसी और लड़की का नाम तक लेता है तो उसे तकलीफ होती है यहाँ तक की अगर वह मेरा नाम भी लेता है तो उसे बुरा लगता है जो उससे मैं पूछने वाली थी वही वह मुझसे पूछ रही थी मैंने उससे कहा की तुझे प्यार हो गया है उससे वह खुश थी पर मेरे अंदर कुछ बहुत तकलीफ हो रही थी मैंने कोचिंग ज्वाइन नहीं की दोबारा पर वह मेरे बारे में पूछता रहता था की फ़िज़ा क्यों नहीं आती जब एक महीने तक मैं नहीं गयी तो उसने धमकी दी की अगर मैंने ज्वाइन नहीं किया तो वह पापा से बात करेगा की मैं क्यों नहीं आती मुझे फ़ैल होना है क्या? मजबूरन मुझे ज्वाइन करना पड़ा मैं खुश थी की कम से कम उसे देख तो सकूंगी मुझे यही लगता था की वह शमा को प्यार करता है शमा एक दिन बहुत रोने लगी स्कूल में मैंने उससे बहुत पूछा तो उसने बस इतना कहा की जब नार्मल बात करनी होती है तब फैज़ को वह याद आती है और जब उसे अपनी कोई प्रॉब्लम शेयर करनी होती है तब उसे फ़िज़ा याद आती है
इतना सुनते ही मैं समझ गयी की शमा के मन में शक है मुझे लेकर मैंने उसे समझाया की मैं उसकी बस एक फ्रेंड हूँ उसने कहा की अगर कभी उसने तुझसे शादी के लिए पूछा तो तू क्या करेगी मैंने कहा नहीं कर दूंगी और क्या तो उसने कहा की हाँ तू कभी उसे हाँ मत करियो मैं नहीं चाहती की मेरा प्यार छीन जाये अगर ऐसा हुआ तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी फिर उसने कहा की तूं मेरी एक हेल्प करेगी तू जाकर उसे बता की मैं उसे प्यार करती हूँ नेक्स्ट डे मेने स्कूल ऑफ किया और मॉर्निंग क्लास के लिए रुक गयी कोचिंग में वह नाराज हुआ की छुट्टी क्यों की मैंने कहा की कुछ बात करनी है आपसे वह खुश हो गया कहने लगा बताओ क्या बात है मैंने कहा शमा आपको लाइक करती है बहुत ज्यादा परेशान है वह अस अ फ्रेंड मैं उसकी ख़ुशी चाहती हूँ आप उसे हाँ बोल दो प्लीज फैज़ ने कहा मैं भी तो तुम्हारा फ्रेंड हूँ मेरी ख़ुशी का क्या मैंने कहा की शमा बहुत अच्छी लड़की हैं वह आपकी बहुत केयर करती है उसने कहा की वह शमा के बारे में ऐसा नहीं सोचता मैंने पूछा क्यों नहीं और अगर नहीं भी तो अब सोचलो वरना वह बहुत दुखी होगी रोयेगी और मैं उसे रोता नहीं देख सकती तब उसने कुछ ऐसा कहा की उसने कहा की मैंने जिंदगी में बस तुम्हारे बारे में सोचा है और तुम्हारी जगह कोई और नहीं ले सकता मैं यह सुनकर भी कुछ नहीं समझ रही थी मुझे समझ आ गया था की वह मुझे प्यार करता है पर मेरा रेस्पॉन्स नार्मल था मैंने फिर यही पूछा शमा को क्या बोलू बताओं ना हाँ करदो न उसे वह हैरान था कहने लगा मैं तुम्हे पसंद करता हूँ उसे नहीं मुझे वह मिल रहा था जिसकी मुझे जरूरत थी पर मैं खुश नहीं थी मुझे पता था यह बात हम तीनो की दोस्ती ख़त्म कर देगी खासकर के शमा और मेरी मैंने उसे मना कर दिया की यह नहीं हो सकता क्यूंकि शमा को मैं धोखा नहीं दे सकती पर उसे यकीं था की मैं भी उसे प्यार करती हूँ
मैं वहां से चली गयी लेकिन उसने यह साडी बातें शमा को बतादी और कहा की मैं सिर्फ शमा की वजह से उसे मना कर रही हूँ शमा और मैं पूरे रस्ते रोते हुए आये घर आकर भी हम दोनों बहुत रोये वह इसलिए रो रही थी की फैज़ उसे नहीं मुझे पसंद करता है और मैं इसलिए की शमा रो रही थी और मुझे पता था की अब मैंने अपनी दोस्त को खो दिया है शमा ने मुझसे कहा की तू उसे प्यार करती है सच बता मैंने जवाब दिया की हाँ 9th से तो उसने कहा की या तो मैं शमा को चुन लू या फैज़ को मैं क्या करती प्यार बेपनाह था फैज़ के लिए इतना की मेरी हर बात में उसका ज़िकर था पर दोस्ती को रुलाकर वह ख़ुशी नहीं पा सकती थी सो मैंने फैज़ को मना कर दिया और कुछ वक़्त तक उससे बात करनी कम करदी शमा उसकी दोस्त तब भी थी पर मैं दोस्त भी नहीं बन सकी उसकी कुछ वक़्त बाद शमा ने कहा की उससे साफ साफ कहदे की तेरा अब उससे कोई मतलब नहीं है उससे बात करना भी बंद करदे मैंने कोचिंग छोड़ दी वह भी तब जब 12th के फाइनल एग्जाम आने वाले थे और उसे जाकर कह दिया की मुझे भूल जाना अब मैं कभी आपको मिलूंगी नहीं कभी बात नहीं करुँगी अस अ फ्रेंड भी नहीं और जाने लगी तो उसने मुझसे कहा की मुझे खुद पे यकीं है की वह हमे जरूर मिलाएगा मुझे पता है तुम मुझे प्यार करती हो और मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा उसने देखा नहीं पर मैं रोते हुए वहां से चली गयी मैं खुद अपने हाथों अपना प्यार गवाकर आ रही थी बहुत दर्द था पर उसे बताने के लिए कोई नहीं था पर एक उम्मीद थी जो उसने मुझे दी थी की हम जरूर मिलेंगे प्यार खो चुकी थी दोस्ती के लिए पर मेरी किस्मत की वह दोस्ती भी मेरी नहीं रही शमा बदल चुकी थी उसके दिल में मेरे लिए नफरत थी वह मुझे ताने मारती थी की मैंने उसके साथ धोखा किया है और उसकी सबसे कीमती चीज उससे छीन ली कहती थी उसने गलती की मुझपे यकीं करके मैं उससे मिलने के बाद घर आकर बहुत रोती थी की मैंने प्यार भी खो दिया और दोस्त भी पर कभी बताती नहीं थी
इस तरह दो साल निकल गए और एक दिन अचानक मेरा मन बेचैन हो गया की एक बार फैज़ को देखना है यूँ लग रहा था की अगर अब नहीं मिली तो शायद कभी नहीं मिल पाऊँ और मैं गयी उससे मिलने इतने वक़्त के बाद उसे देखना एक सपना था मैं रोना चाहती थी पर रो नहीं सकी उसे ध्यान से देखना चाहती थी पर देख नहीं सकी क्यूंकि आदत नहीं थी ना अपनी फीलिंग्स उसे दिखाने की वह बहुत खुश था मुझे देखकर बातें की हमने खूब सारी उसमे शिकायते थी उसकी और मेरा दर्द था जिसे मैं हंसकर बता रही थी फिर मैंने उसे पूछा की कोई मिली तो उसने कहा मेरी फ़िज़ा की जगह और कोई नहीं ले सकता मैं यह सुन कर इतनी खुश हुई जितनी की तब भी नहीं थी जब पहली बार उसने ये कहा था और घर चली गयी
वह मेरे दिल में हमेशा रहेंगे याद बनकर
सलाम …. मैं नाज़ हूँ मैं अपनी कहानी बस इसलिए लिख रही हूँ क्यूंकि आज तक मुझे समझ नहीं आई की मेरी जिंदगी में जो कुछ भी हुआ उसकी वजह क्या थी?
बात तब की है जब में 8th क्लास पास आउट करके 9th में गयी थी. मैं अपने घर में सबसे बड़ी बच्ची हूँ. सबकी लाड़ली भी हूँ पापा का बिज़नेस अच्छा नहीं चलने की वजह से हम डेल्ही में कहीं और शिफ्ट हो गए जगह नई थी लोग भी नए थे मैं बहुत ही शाय थी ज्यादा बोलना मेरी आदत नहीं थी उम्र के हिसाब से समझदारी ज्यादा थी. मैंने भी नई स्कूल ज्वाइन किया. जहां मुझे 2 फ्रेंड्स मिली शमा & पूजा …वक्त के साथ हमारी दोस्ती गहरी होती गई मुझे उन दोनों से कुछ ज्यादा ही प्यार हो चूका था खासकर शमा से उसकी नाराजगी मुझे परेशान कर देती थी मैं कुछ भी करके उसे मना लेती थी कभी दस मिनट से ज्यादा मैं उसे नाराज नहीं रहने देती थी और पूजा वह बहुत शांत थी कभी नाराज नहीं होती थी हम तीनों एक ही कॉलोनी में रहते थे शमा और मेरा घर पास था हम तीनों ने वहीं एक कोचिंग सेंटर ज्वाइन करा हुआ था जहाँ हमारे टीचर जो थे वह भी मुस्लिम थे. वहीं उनका छोटा भाई आता था उनसे पढ़ने हमसे 2 yr सीनियर
तब हम 9th में थे तीनों वहीं पढ़ते थे तब हम उस लड़के का बहुत मजाक बनाते थे पर यह बात उसे नहीं पता थी वह तब था ही ऐसा पतला सा और सिंपल सा जब वह बच्चों को पढता तो हमे बहुत हंसी आती थी पर वह मुझे अच्छा लगता था पता नहीं क्यों हम उससे बात नहीं करते थे तब फिर भी अच्छा लगता था उसे चुपके देखना उसकी मुस्कराहट से चहरे पे हंसी आती थी पर जानती नहीं थी क्यों धीरे धीरे वक़्त गुजरा और हम 11th क्लास में आ गए अब वह कभी कभी सर की जगह आता था हमारी क्लास लेने धीरे धीरे हम उससे बातें करने लगे थे तब पूजा ने कोचिंग छोड़ दी थी बस शमा और मैं ही आते थे वक़्त के साथ शमा और मेरा प्यार भी बहुत बढ़ गया था हम बेस्टेस्ट फ्रेंड थे हम एक दुसरे से कभी कुछ नहीं छुपाते थे उस लड़के का नाम था फैज़ हम अच्छे दोस्त बन चुके थे मेरे दिल में उसकी जगह बहुत खास थी पर क्या ये पता नहीं था मेरी जिंदगी में पहला लड़का था जो मेरा फ्रेंड था धीरे धीरे वक़्त निकला शमा मैं और फैज़ अच्छे दोस्त बन गए वह हमारी हर प्रॉब्लम सुनता अपनी प्रॉब्लम शेयर करता 11th के एग्जाम के बाद मुझे गाँव जाना पड़ा मैंने कोचिंग से भी छुट्टी लेली
जब मैं गाँव गयी तो अजीब सी हालत हो गयी मेरी दिन दिन भर अकेली बैठी रहती थी बस फैज़ की बातें और वह वक़्त याद आते थे जब हम साथ थे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की यह सब क्यों हो रहा है मैं परेशान थी सोचती रहती थी कब वापिस जाकर अपनी परेशानी शमा से बताऊँ. मुझे यकीं था की वह समजह जाएगी मुझे शक था की कही मुझे फैज़ से प्यार तो नहीं हो गया पर सोचती थी नहीं वह तो मुझे कितने सालो से अच्छा लगता है और अगर यह प्यार है भी तो मुझे पता होना चाहिए न. 22 दिनों के बाद हम डेल्ही आ गए मैं रात को 2 बजे घर पहुंची और इंतजार करने लगी की कभ सुबह हो और मैं शमा को ये बात बताऊँ और सबसे ज्यादा इंतजार था फैज़ को देखने का सुब्हे हुई और 6 बजते ही मेने शमा को बुलवाया मैं किचन में थी वह मुझे देखकर बहुत खुश थी और मैं भाई मैंने उससे पूछा की सभ कैसे है पूजा किसी है ? और फैज़ भी उसने मुझे बताया की उसे मुझसे कुछ कहना है वह कबसे मेरा इंतजार कर रही थी इसके लिए मैंने पुछा की बता मुझे भी कुछ बताना है तुझे फिर तो उसने मुझसे वह कहा जो सुनकर मैं भूल गयी की क्या रियेक्ट करना है मुझे मैं सुन्न हो गयी थी पता नहीं क्यों
शमा ने मुझे बताया की वह फैज़ को लाइक करने लगी है और शायद वह भी उसे करता है मैंने पुछा की तू बस लाइक करती है या कुछ ज्यादा तो उसने कहा लाइक से ज्यादा उसने कहा मुझे उसके साथ रहना अच्छा लगता है यहाँ तक की अगर वह किसी और लड़की का नाम तक लेता है तो उसे तकलीफ होती है यहाँ तक की अगर वह मेरा नाम भी लेता है तो उसे बुरा लगता है जो उससे मैं पूछने वाली थी वही वह मुझसे पूछ रही थी मैंने उससे कहा की तुझे प्यार हो गया है उससे वह खुश थी पर मेरे अंदर कुछ बहुत तकलीफ हो रही थी मैंने कोचिंग ज्वाइन नहीं की दोबारा पर वह मेरे बारे में पूछता रहता था की फ़िज़ा क्यों नहीं आती जब एक महीने तक मैं नहीं गयी तो उसने धमकी दी की अगर मैंने ज्वाइन नहीं किया तो वह पापा से बात करेगा की मैं क्यों नहीं आती मुझे फ़ैल होना है क्या? मजबूरन मुझे ज्वाइन करना पड़ा मैं खुश थी की कम से कम उसे देख तो सकूंगी मुझे यही लगता था की वह शमा को प्यार करता है शमा एक दिन बहुत रोने लगी स्कूल में मैंने उससे बहुत पूछा तो उसने बस इतना कहा की जब नार्मल बात करनी होती है तब फैज़ को वह याद आती है और जब उसे अपनी कोई प्रॉब्लम शेयर करनी होती है तब उसे फ़िज़ा याद आती है
इतना सुनते ही मैं समझ गयी की शमा के मन में शक है मुझे लेकर मैंने उसे समझाया की मैं उसकी बस एक फ्रेंड हूँ उसने कहा की अगर कभी उसने तुझसे शादी के लिए पूछा तो तू क्या करेगी मैंने कहा नहीं कर दूंगी और क्या तो उसने कहा की हाँ तू कभी उसे हाँ मत करियो मैं नहीं चाहती की मेरा प्यार छीन जाये अगर ऐसा हुआ तो मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी फिर उसने कहा की तूं मेरी एक हेल्प करेगी तू जाकर उसे बता की मैं उसे प्यार करती हूँ नेक्स्ट डे मेने स्कूल ऑफ किया और मॉर्निंग क्लास के लिए रुक गयी कोचिंग में वह नाराज हुआ की छुट्टी क्यों की मैंने कहा की कुछ बात करनी है आपसे वह खुश हो गया कहने लगा बताओ क्या बात है मैंने कहा शमा आपको लाइक करती है बहुत ज्यादा परेशान है वह अस अ फ्रेंड मैं उसकी ख़ुशी चाहती हूँ आप उसे हाँ बोल दो प्लीज फैज़ ने कहा मैं भी तो तुम्हारा फ्रेंड हूँ मेरी ख़ुशी का क्या मैंने कहा की शमा बहुत अच्छी लड़की हैं वह आपकी बहुत केयर करती है उसने कहा की वह शमा के बारे में ऐसा नहीं सोचता मैंने पूछा क्यों नहीं और अगर नहीं भी तो अब सोचलो वरना वह बहुत दुखी होगी रोयेगी और मैं उसे रोता नहीं देख सकती तब उसने कुछ ऐसा कहा की उसने कहा की मैंने जिंदगी में बस तुम्हारे बारे में सोचा है और तुम्हारी जगह कोई और नहीं ले सकता मैं यह सुनकर भी कुछ नहीं समझ रही थी मुझे समझ आ गया था की वह मुझे प्यार करता है पर मेरा रेस्पॉन्स नार्मल था मैंने फिर यही पूछा शमा को क्या बोलू बताओं ना हाँ करदो न उसे वह हैरान था कहने लगा मैं तुम्हे पसंद करता हूँ उसे नहीं मुझे वह मिल रहा था जिसकी मुझे जरूरत थी पर मैं खुश नहीं थी मुझे पता था यह बात हम तीनो की दोस्ती ख़त्म कर देगी खासकर के शमा और मेरी मैंने उसे मना कर दिया की यह नहीं हो सकता क्यूंकि शमा को मैं धोखा नहीं दे सकती पर उसे यकीं था की मैं भी उसे प्यार करती हूँ
मैं वहां से चली गयी लेकिन उसने यह साडी बातें शमा को बतादी और कहा की मैं सिर्फ शमा की वजह से उसे मना कर रही हूँ शमा और मैं पूरे रस्ते रोते हुए आये घर आकर भी हम दोनों बहुत रोये वह इसलिए रो रही थी की फैज़ उसे नहीं मुझे पसंद करता है और मैं इसलिए की शमा रो रही थी और मुझे पता था की अब मैंने अपनी दोस्त को खो दिया है शमा ने मुझसे कहा की तू उसे प्यार करती है सच बता मैंने जवाब दिया की हाँ 9th से तो उसने कहा की या तो मैं शमा को चुन लू या फैज़ को मैं क्या करती प्यार बेपनाह था फैज़ के लिए इतना की मेरी हर बात में उसका ज़िकर था पर दोस्ती को रुलाकर वह ख़ुशी नहीं पा सकती थी सो मैंने फैज़ को मना कर दिया और कुछ वक़्त तक उससे बात करनी कम करदी शमा उसकी दोस्त तब भी थी पर मैं दोस्त भी नहीं बन सकी उसकी कुछ वक़्त बाद शमा ने कहा की उससे साफ साफ कहदे की तेरा अब उससे कोई मतलब नहीं है उससे बात करना भी बंद करदे मैंने कोचिंग छोड़ दी वह भी तब जब 12th के फाइनल एग्जाम आने वाले थे और उसे जाकर कह दिया की मुझे भूल जाना अब मैं कभी आपको मिलूंगी नहीं कभी बात नहीं करुँगी अस अ फ्रेंड भी नहीं और जाने लगी तो उसने मुझसे कहा की मुझे खुद पे यकीं है की वह हमे जरूर मिलाएगा मुझे पता है तुम मुझे प्यार करती हो और मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगा उसने देखा नहीं पर मैं रोते हुए वहां से चली गयी मैं खुद अपने हाथों अपना प्यार गवाकर आ रही थी बहुत दर्द था पर उसे बताने के लिए कोई नहीं था पर एक उम्मीद थी जो उसने मुझे दी थी की हम जरूर मिलेंगे प्यार खो चुकी थी दोस्ती के लिए पर मेरी किस्मत की वह दोस्ती भी मेरी नहीं रही शमा बदल चुकी थी उसके दिल में मेरे लिए नफरत थी वह मुझे ताने मारती थी की मैंने उसके साथ धोखा किया है और उसकी सबसे कीमती चीज उससे छीन ली कहती थी उसने गलती की मुझपे यकीं करके मैं उससे मिलने के बाद घर आकर बहुत रोती थी की मैंने प्यार भी खो दिया और दोस्त भी पर कभी बताती नहीं थी
इस तरह दो साल निकल गए और एक दिन अचानक मेरा मन बेचैन हो गया की एक बार फैज़ को देखना है यूँ लग रहा था की अगर अब नहीं मिली तो शायद कभी नहीं मिल पाऊँ और मैं गयी उससे मिलने इतने वक़्त के बाद उसे देखना एक सपना था मैं रोना चाहती थी पर रो नहीं सकी उसे ध्यान से देखना चाहती थी पर देख नहीं सकी क्यूंकि आदत नहीं थी ना अपनी फीलिंग्स उसे दिखाने की वह बहुत खुश था मुझे देखकर बातें की हमने खूब सारी उसमे शिकायते थी उसकी और मेरा दर्द था जिसे मैं हंसकर बता रही थी फिर मैंने उसे पूछा की कोई मिली तो उसने कहा मेरी फ़िज़ा की जगह और कोई नहीं ले सकता मैं यह सुन कर इतनी खुश हुई जितनी की तब भी नहीं थी जब पहली बार उसने ये कहा था और घर चली गयी
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