Text Practice Mode
''संपन्न भारत''
created Jan 13th 2018, 04:12 by RkksSharma
0
223 words
1 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
भारत के बारे में विस्तृत जानकारी रखने वाला हर व्यक्ति इस बात से सहमत होगा कि भारत के नाम से अपरिचित कोई व्यक्ति यदि भारत में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक घूमे, तो वह बोल उठेगा कि यह कोई एक देश नहीं, बल्कि कई देशों का एक समूह है। यह ऐसा देश है, जो एक-दूसरे से रीति-रिवाजों में, काम-काज में, रहन-सहन में, पहनावे में, बिलकुल भिन्न है। प्राकृतिक रूप से तो यहाँ इतनी विभिन्नताएँ हैं कि शायद ही कोई, विशेष प्रमाणों के बिना, यह मान सके कि यह कहीं उन्मुक्त रूप से लहराता समुद्र। कहीं वर्षा ऋतु का असामयिक प्रचंड आवेग, तो कहीं रेगिस्तान की तपती धरती। भला कौन-सा ऐसा फल, कौन-सी ऐसी फसल है, जो यहाँ के भू-गर्भ में न विद्यमान हो। इतनी विभिन्नताएँ देखने पर, शायद ही किसी का मन इस बात से सहमत हो पाए कि यह देश है।
भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले लोग यहाँ रहते हैं। इतने प्रकार की बोलियाँ यहाँ पर बोली जाती हैं कि उनकी गिनती करना आसान नहीं है। बोलियों में इतने प्रकार की भिन्नताएँ होने के कारण ही भारत के संदर्भ में इस कहावत का जन्म हुआ- 'कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी।' बोलियों का इतना विशाल रूप देखकर कोई भी इनसान सहज ही बोल उठेगा, ''तुम झूठ बोलते हो, यह एक देश नहीं, बल्कि एक पूरा महाद्वीप है।''
भिन्न-भिन्न धर्मों को मानने वाले लोग यहाँ रहते हैं। इतने प्रकार की बोलियाँ यहाँ पर बोली जाती हैं कि उनकी गिनती करना आसान नहीं है। बोलियों में इतने प्रकार की भिन्नताएँ होने के कारण ही भारत के संदर्भ में इस कहावत का जन्म हुआ- 'कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर बानी।' बोलियों का इतना विशाल रूप देखकर कोई भी इनसान सहज ही बोल उठेगा, ''तुम झूठ बोलते हो, यह एक देश नहीं, बल्कि एक पूरा महाद्वीप है।''
