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हिमाँशु - टेस्ट 15

created Oct 3rd 2017, 07:08 by himrajdon


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दुनियाँ अब इलेक्ट्रानिक युग में प्रवेश कर रही है। इस नए युग का प्रतीक है संगणक, तेजी से फैलता संगणकों का जाल दुनियाँ को ज्यादा चुस्त, कार्यकुशल और गतिशील बना रहा है। समृद्ध देशों में तो स्थिती यह है कि घर हो या दफ्तर या कोई कारखाना संगणक हर जगह सेवा के लिए हाजिर है। इसमें कोई शक नहीं कि संगणक काम करने का आसान और सस्ता माध्यम है मगर इसका दूसरा और अंधकार युक्त पहलू यह भी है कि धोखाधड़ी, जलसाजी और तोड़-फोड़ का भी आसान साधन है। इसने अपराधों की एक नई किस्म को जन्म दिया है जिन्हें आज संगणक अपराध के नाम से जाना जाता है। जैसे जैसे संगणकों का जाल फैलता जायेगा वैसे-वैसे संगणक अपराध भी उसी अनुपात में बदलते जायेंगे। कई संगणक विशेषज्ञों का कहना है कि संगणक अपराध आज भी बड़े पैमाने पर होते है मगर उनमें से सिर्फ 10 प्रतिशत ही सामने पाते हैं। वजह यह है कि अक्सर या तो वे पकड़े ही नहीं जाते और यदि पकड़े भी जाते हैं तो कम्पनियों के प्रबन्धक अपने व्यवसायिक स्वार्थ के कारण इन्हें सामने लाने से कतराते हैं। एक जाने माने संगणक विशेषज्ञ हानपार्कर का दावा है कि संगणक अपराधों से अमेरिकी कंपनियों को हर साल पाँच सौ करोड़ रुपये की हानि होती है। संगणक कंपनियों के मालिकों का आरोप है कि पार्कर महोदय तिल को ताड़ बनाकर पेश कर रहे हैं। उनके आरोप मे जायादा दमखम नहीं है। वैसे संभव है कि प्रलय के अन्य मसौहाओं की तरह पार्कर ने भी आकड़े बहुत बढ़ा चढ़ा कर पेश किए हैं मगर इस हकीकत को कैसे झुठलाया जा सकता है कि संगणक अपराधों में अक्सर बहुत बड़ी रकम की हेराफेरी होती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार औसत संगणक घपला 5 लाख डालर का होता है जबकि परम्परागत ढंग से होने वाले घोटाले में औसतन 2500 डालर की हेरा फेरी होती है।
संगणक घोटालों की खूबी यह है कि इनमें अपराधी संगणकों की प्राविधिकी को ही खिलाफ इस्तेमाल करता है। ज्यादातर अपराधी संगणक केन्द्रों के कर्मचारी ही होते हैं। पहले वे संगणकों के कामकाज की बारीक से बारीक जानकारी हासिल करते हैं फिर उस जानकारी का इस्तेमाल कर संगणकों को ठप्प कर देते है। संगणकों की अपनी कार्यविधि भी बहुत हद तक संगणक अपराधों के लिए जिम्मेदार है, इसमें तथ्य या आकड़े बाउचर या कागजों पर नहीं चुम्बकीय टेपों पर अंकित रहते हैं। इसलिए अपराधी को कागजों में घोटाले या जालसाजी करने की जरूरत नहीं पड़ती। संगणकों का सारा काम उसे दिए गए आँकड़ों और कार्यक्रमों के मुताबिक होता है। इनमें हेरफेर करके अपराधी मनचाहा लाभ उठाकर भी बेकसूर बना रह सकता है। जब से बैंकों में वैद्युतकी धन हस्तांतरण की व्यवस्था हुई है संगणक अपराध भी तेजी से बढ़ते जा रहे है। यूँ तो यह बड़ी आरामदायक व्यवस्था है। इसमें संकेतों के जरिये पलक झपकते बड़ी से बड़ी रकम हस्तांतरित हो जाती है। परले धन के हस्तांतरण के लिए हस्ताक्षर लिए जाते थे। वैद्युतकी व्यवस्था में सिर्फ आंकड़ों और संकेतों से काम चल जाता है जिन्हें सिर्फ धन हस्तांतरण करने वाला अफसर ही जानता है।    

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