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हिमाँशु - टेस्ट 13
created Oct 2nd 2017, 08:23 by himrajdon
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अध्यक्ष महोदय खेती में उन्नति न होने का कारण क्या है। उसका एक कारण यह है कि खेती से सम्बन्धित जितने भी विभाग हैं उनमें आपस में कोई मेलजोल नहीं है। खेती के लिए अच्छी खाद की जरूरत है, पानी की जरूरत है, औजारों की और धन की जरूरत है, इन सारी चीजों के लिए अलग-अलग विभाग हैं। मालूम ऐसा पड़ता है कि उनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है। वे आपस में मिलकर कोई योजना नहीं बनाते जिससे खेती की जरूरतें पूरी होती। इसीलिए जब तक उनमें आपस में मेलजोल नहीं होगा तब तक खेती की उन्नति नहीं हो सकती है। दूसरा कारण यह है कि योजना की बिलकुल कमी है।
इसके अलावा कृषि कोलेजों से विकले हुए जो ग्रेजुएट होते हैं, जो खेती की बातों को जानते हैं उनमें से एक भी आदमी खेती करने के लिए तैयार नहीं है। सभी प्रोफेसर बनने के लिए तैयार है। खेती के लिए कोई तैयार नहीं है, एक बात मैं माननीय मंत्री जी से विशेष रूप से कहना चाहता हुँ कि अधिक उपज न होने का एक कारण यह है कि जो खेत में काम करते हैं वे उसके मालिक नही हैं। खेत किसी और का है और काम कोई और कर रहा है। इसलिए मेरा कहना यह है कि किसानों में जब तक यह भावना पैदा नहीं होगी कि यह मेरी भूमि है तब तक अधिक उपज नही हो सकती। इसलिए आप जब तक भूमि सुधार नहीं करेंगे तब तक कोई बात बनने वाली नहीं है। दुर्भाग्य से इस देश में खेती करने वाले बहुत कम लोग ही जमीन के मालिक हैं।
खेती की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि सरकार खाद, बीज का उचिल मूल्य निर्धारित करें, छोटे किसानों की लगान को कम किया जाय और उनकी उपज का उचित मूल्य दिया जाय तथा बिचौलियों से उनको बचाया जाय, ऐसी बात नहीं कि सरकार ने इस विषय में कुछ नहीं किया है लेकिन नौकरशाहीं के कारण ही ठीक ढंग से अमल में नहीं लाया जा सका है। इस प्रकार के आरोप नौकरशाहों पर अक्सर लगाये जाते रहे हैं अतः हमारे मा. प्रधानमंत्री जी ने नौकरशाहों की इन आरोपों से छुटकारा दिलाने के लिए सरकारी योजनाओं को स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से क्रियान्वयन करने का जो प्रस्ताव किया है वह स्वागत योग्य है।
इसके अलावा कृषि कोलेजों से विकले हुए जो ग्रेजुएट होते हैं, जो खेती की बातों को जानते हैं उनमें से एक भी आदमी खेती करने के लिए तैयार नहीं है। सभी प्रोफेसर बनने के लिए तैयार है। खेती के लिए कोई तैयार नहीं है, एक बात मैं माननीय मंत्री जी से विशेष रूप से कहना चाहता हुँ कि अधिक उपज न होने का एक कारण यह है कि जो खेत में काम करते हैं वे उसके मालिक नही हैं। खेत किसी और का है और काम कोई और कर रहा है। इसलिए मेरा कहना यह है कि किसानों में जब तक यह भावना पैदा नहीं होगी कि यह मेरी भूमि है तब तक अधिक उपज नही हो सकती। इसलिए आप जब तक भूमि सुधार नहीं करेंगे तब तक कोई बात बनने वाली नहीं है। दुर्भाग्य से इस देश में खेती करने वाले बहुत कम लोग ही जमीन के मालिक हैं।
खेती की उन्नति के लिए यह आवश्यक है कि सरकार खाद, बीज का उचिल मूल्य निर्धारित करें, छोटे किसानों की लगान को कम किया जाय और उनकी उपज का उचित मूल्य दिया जाय तथा बिचौलियों से उनको बचाया जाय, ऐसी बात नहीं कि सरकार ने इस विषय में कुछ नहीं किया है लेकिन नौकरशाहीं के कारण ही ठीक ढंग से अमल में नहीं लाया जा सका है। इस प्रकार के आरोप नौकरशाहों पर अक्सर लगाये जाते रहे हैं अतः हमारे मा. प्रधानमंत्री जी ने नौकरशाहों की इन आरोपों से छुटकारा दिलाने के लिए सरकारी योजनाओं को स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से क्रियान्वयन करने का जो प्रस्ताव किया है वह स्वागत योग्य है।
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