eng
competition

Text Practice Mode

Comtech { CPCT Typing Test - 1 } *By - Lalit*

created Sep 24th 2017, 05:44 by lalitsingh


1


Rating

333 words
31 completed
00:00
औद्योगिक विकास की नींव इस्‍पात पर रखी  जाती है, यह कहना अतिश्‍योक्ति होगी क्‍याेंकि इस्‍पात सभी कल कारखानों के लिए एक अनिवार्य आवश्‍यकता है। अत: अपने औद्योगिक विकास के लिए भारत को सर्वप्रथम इस्‍पात उद्योग की ओर ध्‍यान देना पड़ा। लोहा तथा इस्‍पात उद्योग भारत के प्राचीन उद्योग धंधो में से है। आज से हजारों वर्ष पूर्व यह उद्योग उन्‍नति की चरम सीमा पर था। संसार में लोहे तथा इस्‍पात की सर्वप्रथम खोज भी भारत ने ही की थी। ईसा से कई शताब्‍दी पूर्व संसार में भारतीय इस्‍पात का महत्‍व समझा जाने लगा था। प्रचीन कालीन अशोक स्‍तम्‍भ देखकर इस महत्‍व का अनुमान लगाया जा सकता है।  
भारत में सर्वप्रथम लोहे के उद्योग के लिए मोती तथा फरकुहर नामक व्‍यक्तियों ने 1779 ई. में प्रयास आरम्‍भ किये किन्‍तु उन्‍हें सफलता प्राप्‍त नहीं हो सकी। 1830 में दक्षिणी अरकाट में भी इसी प्रकार के निष्‍फल प्रयास हुए। अन्‍तत: 1874 में इस उद्योग का श्री गणेश भारत में हुआ और बौराकर आयर्न वर्क्‍स की स्‍थापना हुई जिसमें 1900 ई. में लगभग 35000 टन इस्‍पात का उत्‍पादन हुआ। 1907 में टाटा आयर्न एण्‍ड स्‍टील कम्‍पनी की स्‍थापना हुई। इसने साकची (बिहार) में अपने इस्‍पात कारखाने का निर्माण आरम्‍भ किया और 1911 में कच्‍चे लोहे तथा बाद में इस्‍पात का उत्‍पादन आरम्‍भ कर दिया। 1908 में हीरापुर में इण्डियन आयरन एण्‍ड स्‍टील कम्‍पनी की स्‍थापना हुई तथा 1932 में भद्रावती में मैसूर आयरन एण्‍ड स्‍टील कम्‍पनी की स्‍थापना हुई। द्वितीय पंचवर्षीय योजना में राउरकेला, भिलाई एवं दुर्गापुर इस्‍पात कारखानों की स्‍थापना की गई तथा अभी कम से कम तीन विशाल इस्‍पात कारखाने और स्‍थापित करने की योजना है जिसमें एक मद्रास  में,एक गुजरात में बतवा नामक स्‍थान पर और एक विशाखापटनम में स्‍थापित होगा। पंजाब तथा पश्चिमी बंगाल में भी एक-एक कारखाना खोलने की योजना स्‍वीकृत कर ली गई है। इन कारखानों में इस्‍पात का उत्‍पादन नहीं होगा बल्कि लोहे की ढलाई की जावेगी। महाराष्‍ट्र तथा गोआ में कारखाने खोले जा रहे हैं। बोकारो का कारखाना तो दुनिया के बडे कारखानों में से एक है।  

saving score / loading statistics ...